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Showing posts from May, 2019

Gajhal..

लाख गम सीने में दफ़न किये चल रहे है लबो पर बनावटी मुस्कान लिए चल रहे है लुटा आये सारी वफ़ा यार के दार पर जमाना कहता है  की आप बदल रहे है जो ठोकरें खाई थी बहुत सारी हमने बड़ी मुश्किलों से तो अब संभल रहे है पार कैसे किया राहों को ,ये हम जानते है जमाना कहता है आप बदल रहे है सोहबत थी कुछ ऐसी जनाब की हमारी अभी तक अपनी किस्मत से जल  रहे है आक़िबत अपना कब का सब अना  हुआ और जमाना कहता है की आप बदल रहे है आकिबत=भविष्य,अना=खत्म ©अभिषेक सेमवाल

इश्क तेरा

मैं हर इम्तिहान में आखिरी हूँ जैसै सबसे पहले इश्क तेरा मैं मानो जेठ की तपती गरमी उसमें ठंडी छाँव सा इश्क तेरा मैं काली रात का हूँ जुगनू पूनम का चाँद है इश्क तेरा मैं जमीं की खामोशी सा हूँ फलक के शोर सा इश्क तेरा मैं रेत पर लिखी इबारत हूँ पत्थर की सी लकीर ये इश्क तेरा मैं एक जुमला टूटी सी तुक का गुलजार की गजल सा इश्क तेरा मैं हर इम्तिहान में आखिरी जैसै सबसे पहले इश्क तेरा मेरी_कविता_तुम ©अभिषेक सेमवाल