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तुम्हारी हथेलियां

  तुमने जब प्रेम वश पीछे से आकर मेरी आँखों पर हाथ रख लिए अपने वैसे तो ये तुम्हारा बचपना था मगर मेरे लिए ऐसा था कि जैसे तुम कह रही हो “मत देखो कुछ भी मत देखो दुनिया को मत देखो समाज को मत देखो रूढ़ियों को मत देखो बेढंगे रिवाज को बस तुम देखो आँखे बंद कर मुझे बस महसूस करो मेरे हाथों का स्पर्श” सच मे तुम्हारी हथेलियों में कोई तिलिस्म जरूर था तुमने हर ली थी सारी बेचैनियां मेरी सारी उलझनें काफूर हो गयी थी उस एक पल में तुमने जब प्रेम वश पीछे से आकर मेरी आँखों पर हाथ रख लिए अपने .. .. © सेमवाल जी नवोदय वाले

तुम्हारे प्रेम में

तुम्हारे प्रेम में मैं तुम्हारे प्रेम में पालने लगूंगा बकरियां जिन्हें लेकर चल पड़ूँगा बुग्यालों की तरफ उनका घूमना हमारे साथ चलने का द्योतक होगा, जतायेगा की उनके पैर हम है साथ नाप लेंगे समतल, उबड़ खाबड़ मैदान जो बताएंगे, की हमने जीवन की सारी बाधाएं पार कर ली हैं..... हाँ तुम्हारी याद में बकरियाँ लेना ही बेहतर होगा। वो चर जाएंगी सब घास जिन से हमारे अलग होने की बूटी बनी थी वो करेंगे हमारे बीच खड़ी हदों ,सरहदों समाज के उलाहनों, वफ़ा की संसदों को पार,और ले चलेंगी हमें इस दुनिया से दूर जहाँ हम तुम एक हो रहें। © सेमवाल जी नवोदय वाले