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Showing posts from 2019

वो ऐसी दिखती है.

वो ऐसी दिखती है मानो एक ख्वाब हो वो हिंदी का प्रणाम सी मानो उर्दू का आदाब हो वो बनी किसी और माटी की मानो सबसे लाजवाब हो आँखों में उसकी कहानियाँ बहुत मानो एक किताब हो वो दर्द है पर मीठा सा एक मानो कोई वो दोआब हो उसकी खुशबू ऐसी है जैसे फूलों में गुलाब हो उसकी बातें ऐसी मोहिनी जैसे की मुफट्ट जवाब हो वो रौशनी से भरी किरण जैसे कोई आफताब हो उसकी बाते सवालों से भरी है हम जैसे उनका जवाब हो उसकी बातें पूरी आशिकाना मानो वो किसी का इश्क़ बेहिसाब हो

लिख देता हूँ

वादे तेरे यादे तेरी लिख देता हूँ मिन्नतें मेरी फरियादे मेरी लिख देता हूँ कहानी मेरी इश्क़ तेरा लिख देता हूँ अश्क़ मेरे रश्क़ तेरा लिख देता हूँ रुसवाइ तेरी वफ़ा मेरी लिख देता हूँ दर्द मेरा जफ़ा तेरी लिख देता हूँ पाना तुझे खोना तुझे लिख देता हूँ हसना तुझमे रोना तुझे लिख देता हूँ मर्जी तेरी हसरत मेरी लिख देता हूँ आशिकी तेरी इनायत तेरी लिख देता हूँ खुशबू तेरी बेचैनी मेरी लिख देता हूँ दर्द मेरा तू हमदर्द मेरा लिख देता हूँ

मैं मुस्कुराता मिलूंगा

तुझे जाना था,चली गई तू पर ये याद रहे तुझे हमेशा तुझे जब भी मिलूंगा , मैं मुस्कुराता मिलूंगा तू गीत मेरी आशिकी़ का सिर्फ तुझे ही गाता मिलूंगा तेरी बातें याद करता तेरी हँसी पर मरता तेरी की हुई तारीफों पर मैं हमेशा शर्माता मिलूंगा मैं मुस्कुराता मिलूंगा स्नेह,प्रेम,इश्क,मोहब्ब्त,प्यार तुझसे करता मिलूंगा हर बार गमों से लब सिये हँसता हँसाता मिलूंगा मैं तुझे मुस्कुराता मिलूंगा न तू बेवफा थी, न तेरी बेवफाई थी न तेरा धोखा था,न तेरी रूसवाई थी ये नगमा सबको सुनाता मिलूंगा ये नगमा मैं गाता मिलूंगा याद रखना हमेशा मैं मुस्कुराता मिलूंगा़.... मैं मुस्कुराता मिलूंगा.... ©अभिषेक सेमवाल

तुम बहुत याद आते हो

तुम बहुत याद आते हो मेरी रातो को दिन दिनों को रात कर जाते हो तुम मुझे बहुत याद आते हो ना अब हम तुम्हारे ना अब तुम तुम्हारे पर ख्वाबो से भी तुम ना जाते हो तुम बहुत याद आते हो यादों में आकर क्यों तुम सताते हो किसी और को सताओ ना तुम हमें ही क्यों पाते हो तुम हमें बहुत याद आते हो जब भी याद आते हो आँखें मेरी नम कर जाते हो तुम हमें बहुत याद आते हो आकर याद,सर्द सी हवाएं बिखेर जाते हो ना जाने कौन सा सावन हो बिना मौसम तुम यादें बरसाते हो तुम बहुत याद आते हो कितनी भी मुस्कान रख लू होंठों पर कैसे ना कैसे तुम बहुत रुलाते हो तुम बहुत याद आते हो तुम बहुत याद आते हो। ©अभिषेक सेमवाल

इश्क तेरा-2

इश्क़ तेरा-2 मैँ सूखा सा पत्ता पतझड़ में हरी भरी डाली सा इश्क़ तेरा मै चलती हवाओ सा शोख बड़ा पहाड़ सा निश्चल इश्क़ तेरा मै पीर के सागर में डूबा हूँ उसमें हंसी की फुहार सा इश्क़ तेरा तू देवी है उस पार जहाँ की पार जहाँ का है इश्क़ तेरा मैं कफिर सा भटकता फिरू मेरे सफर की मंजिल है इश्क़ तेरा मैँ अनपढ सा एक शायर हूँ ज्ञानी के ज्ञान सा ये इश्क़ तेरा मैं बंद कमरे का दिया सा रोशन पुरे जग के उजियारे सा है इश्क़ तेरा मैं पहली बार की ही हामी सा नन्हें बच्चे की जिद सा ये इश्क़ तेरा मैँ हर इम्तिहान में आखिरी हूँ जैसे सबसे पहले है इश्क़ तेरा ©अभिषेक सेमवाल

टूटा दिल

"अरे आज,नीलू आई हुई है हम सब घूमने जा रहे हैं घाट पर,तू टाइम पर पहुंच जाना ठीक है ना"। सिया ने ये कहकर फ़ोन काट दिया,मेरा दिल जोरो से धड़कने लग गया,आज नीलू आई हुई है,मेरा कॉलेज के पहला पहला प्यार थी वो।और आज पुरे एक साल  बाद |     ये कहानी तब|शुरू हुई थी जब मैं फर्स्ट इयर मेँ श्रीनगर आया था| वो हमारी क्लास की थी ,बी एस सी मै ,नीलम नेगी पर बायो वाली थी,और शायद वही जिंदगी की पहली लड़की थी जिसे देखकर पहली नजर में प्यार हो गया था,प्यार था या जो भी था पर सिर्फ उसी को देखकर हुआ था।और मेँ उन लड़को में से तो बिलकुल नहीं था जो दिल की बात दिल में ही दबा दें सो हुआ यूँ की मैंने लिख दिया एक प्रेम पत्र उसे | उसने पढ़ा या नहीं कुछ नहीं पता पर कहा भी कुछ साफ साफ नहीं।और कुछ दिन तो वो नाराज रही पर धीरे धीरे मुझ से बाते करने लग गई मतलब एक कहानी शुरू हो चुकी थी |  अब आया कहानी में असल ट्विस्ट और वो ये था कि  उसका चयन हो गया बी फार्मा  मे और उसको श्रीनगर छोड़ कर जाना पड़  गया और मेरी प्रेम कहानी के पहिये जाम हो गए यही पर ।     बड़ी अजीब सी थी यार वो ...

Gajhal..

लाख गम सीने में दफ़न किये चल रहे है लबो पर बनावटी मुस्कान लिए चल रहे है लुटा आये सारी वफ़ा यार के दार पर जमाना कहता है  की आप बदल रहे है जो ठोकरें खाई थी बहुत सारी हमने बड़ी मुश्किलों से तो अब संभल रहे है पार कैसे किया राहों को ,ये हम जानते है जमाना कहता है आप बदल रहे है सोहबत थी कुछ ऐसी जनाब की हमारी अभी तक अपनी किस्मत से जल  रहे है आक़िबत अपना कब का सब अना  हुआ और जमाना कहता है की आप बदल रहे है आकिबत=भविष्य,अना=खत्म ©अभिषेक सेमवाल

इश्क तेरा

मैं हर इम्तिहान में आखिरी हूँ जैसै सबसे पहले इश्क तेरा मैं मानो जेठ की तपती गरमी उसमें ठंडी छाँव सा इश्क तेरा मैं काली रात का हूँ जुगनू पूनम का चाँद है इश्क तेरा मैं जमीं की खामोशी सा हूँ फलक के शोर सा इश्क तेरा मैं रेत पर लिखी इबारत हूँ पत्थर की सी लकीर ये इश्क तेरा मैं एक जुमला टूटी सी तुक का गुलजार की गजल सा इश्क तेरा मैं हर इम्तिहान में आखिरी जैसै सबसे पहले इश्क तेरा मेरी_कविता_तुम ©अभिषेक सेमवाल