टूटा दिल
"अरे आज,नीलू आई हुई है हम सब घूमने जा रहे हैं घाट पर,तू टाइम पर पहुंच जाना ठीक है ना"। सिया ने ये कहकर फ़ोन काट दिया,मेरा दिल जोरो से धड़कने लग गया,आज नीलू आई हुई है,मेरा कॉलेज के पहला पहला प्यार थी वो।और आज पुरे एक साल बाद |
ये कहानी तब|शुरू हुई थी जब मैं फर्स्ट इयर मेँ श्रीनगर आया था| वो हमारी क्लास की थी ,बी एस सी मै ,नीलम नेगी पर बायो वाली थी,और शायद वही जिंदगी की पहली लड़की थी जिसे देखकर पहली नजर में प्यार हो गया था,प्यार था या जो भी था पर सिर्फ उसी को देखकर हुआ था।और मेँ उन लड़को में से तो बिलकुल नहीं था जो दिल की बात दिल में ही दबा दें सो हुआ यूँ की मैंने लिख दिया एक प्रेम पत्र उसे | उसने पढ़ा या नहीं कुछ नहीं पता पर कहा भी कुछ साफ साफ नहीं।और कुछ दिन तो वो नाराज रही पर धीरे धीरे मुझ से बाते करने लग गई मतलब एक कहानी शुरू हो चुकी थी | अब आया कहानी में असल ट्विस्ट और वो ये था कि उसका चयन हो गया बी फार्मा मे और उसको श्रीनगर छोड़ कर जाना पड़ गया और मेरी प्रेम कहानी के पहिये जाम हो गए यही पर ।
बड़ी अजीब सी थी यार वो बिलकुल बच्चो जैसी थी।खूबसूरत सी आँखे और एक दम छरहरा बदन प्यारी सी मुस्कान या यूँ कहु की अब तो बस उसकी तारीफे करने का मन कर रहा है ,वो बहुत बातूनी भी थी और उसकी बाते कभी भी ख़तम नहीं होती थी मै तो एकदम खो सा जाता था उसकी बातो मे और जब वो बोलती थी बहुत प्यार से बिलकुल जैसे किसी मासूम बच्चे की आवाज होती है जो की सारी शैतानियों से अभी बिलकुल दूर हो ।और जब गयी वो श्रीनगर से तो बस अपनी यही यादें मेरे पास छोड़कर गयी थी |
आज वो पूरे एक साल बाद आई थी श्रीनगर।मै बहुत खुश था पता नहीं था क्या करूँगा क्या बोलूंगा उसे पर एक अनोखी सी ख़ुशी आ गयी थी मेरे अंदर ,मैं मतलब ऊर्जा के सातवे आसमान पर था एक अजीब सी लहर मेरे अंदर दौड़ रही थी नीलू से मिलने का उत्साह ,ख़ुशी मुझे सब से अलग होने पर मजबूर कर रही थी ,मैं बहुत जल्दी जल्दी तैयार हो रहा था ।
अब हम सब मिल चुके थे और चल पड़े घाट की तरफ,वो चुप चाप सी चल रही थी , उसकी आँखे पता नहीं क्यों मुझ से दूर भाग रही थी पहले थोड़ी देर तक तो मैं सोचता रहा की ये बहुत समय बाद मिलने की वजह से हो रहा मैं भी एक दम कांप रहा था | जैसे जैसे हम आगे बढ़ रहे थे अब मुझे घबराहट सी हो रही थी मेरे मन में बहुत सारे ख्याल आ रहे थे।" क्या वो मेरी वजह से चुप है या वो मुझ से बात नहीं करना चाहती है पर सिर्फ मुझ से ही नाराजगी है क्या उसकी | " अजीब अजीब ख्याल आ रहे थे।
इसी बीच हम पहुंच गए कॉलेज कैंपस पहुंच गए वहा आज कल चुनाव का माहौल बना हुआ था तभी मुझे पकड़ लिया एक भैया ने जिनका मै प्रचार कर रहा था| सिया और नीलू आगे चल दिए अब मेरे अंदर से आवाज आ रही थी कहा फंस गया यार नीलू तो चली गयी अब क्या होगा।लेकिन मे भी कहा हारने वाला था मेने भी कुछ पर्चे पकडे और बोला "भैया मै तो जा रहा हूँ घाट पर प्रचार करने" | भैया मान गए कहानी मे जब तक एक कोई विलेन न हो तो कहाँ कहानी पूरी होती है हुआ ये कि एक दूसरा लड़का बोला मे जा रहा हूँ घाट पर | मेरा माथा ठनका "भाई तू कहाँ से आ गया यहां ,मेरी मोहब्बत जा रही है और तुझे प्रचार की पड़ी है ,भाई जाने दे मुझे "।आखिरकार किसी तरह मैंने लड़ झगड़ कर अपनी बात मनवा ही ली और सीधे पहुंच गया घाट पर|
नीलू खड़ी थी वहा पर ,वो फिर चुप थी,वो अभी भी कुछ नहीं बोल रही थी | "क्या हो गया है इसे ये बात क्यों नही कर रही है मुझ से "| मै उसे चीख चीख कर कहना चाहता था कि देख तेरे लिए कैसे मैँ लड़ कर आया हूँ।
मैँ बहुत हारा हुआ सा महसूस कर रहा था ये क्या हो गया था वो मुझ से क्यों नहीं बोल रही थी दिल बहुत बैचैन था मेरा आज के जैसा कभी महसूस नहीं हुआ था शायद वो मुझ से बात नहीं करना चाहती थी मै था क्या उसके लिए मैँ हूँ कौन जो ये सब सोच रहा था शायद अब वो मुझ से बहुत दूर जा चुकी थी , बात भी सही पिछले एक साल मे सब बदल चूका था और अब तो मैं भी हार गया था जैसे कोई योद्धा समर हार जाता है वैसे ही मैं भी मायूसी से भर गया था और वक़्त बीतने का इंतजार करने लग गया था ।मेरी और कहानियो की तरह इस कहानी की भी हैप्पी एंडिंग नहीं हुई,मेरी ये प्रेम कहानी भी यही पर आकर ख़त्म हो गयी थी और शायद मेरा दिल टूट चुका था।।।
अभिषेक सेमवाल
शाबाश भाई.....
ReplyDeleteबहुत सही लिखा है ....
Good job bro ❤
ReplyDeleteBhut shi bbhai
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर श्री सेमवाल जी।।
ReplyDeleteयूँ ही तेज करते रहिए धार अपनी कलम की,
अभी "अभिषेक" से नीलम" का अभिषेक " होना बाकी है "
God bless you.