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Showing posts from 2020

PLAYLIST (story)

  “जी सर,जैसा आपने कहा बिल्कुल वैसे ही होगा"।मैंने कहा तो मेरे बॉस ने मुझे अविश्वास की नजरों से देखा जैसे उन्हें भरोसा न हो रहा हो,और होता भी कैसे मैं पिछले सात असाइनमेंट जो पूरे नहीं कर पाया था।   मैं बॉस के केबिन से बाहर निकला ही था कि मुझे मेरे साथी अरविंद ने आवाज दी -“अबे यार चल ना लंच टाइम हो गया हैं, चलते है कैंटीन"।ये सुनकर मैंने आफिस की वाल क्लॉक पर सरसरी निगाह डाली तो वो दिन के 1:30 बजा रही थी। अभी तो सुबह अलार्म बजा था मैं बड़ी आधी अधूरी नींद छोड़कर जबरदस्ती तैयार हो कर ऑफिस आया हूँ और इतनी जल्दी ये वक़्त बीत गया कुछ काम भी नहीं कर पा रहा हूं ,ये क्या हो रहा है मुझे आजकल मैं क्यों वक़्त और अपनी जिंदगी के बीच समन्वय नहीं कर पा रहा हूँ “ओ मेरे गरीबों के सस्ते से राहत इंदौरी , कहाँ खो गया फिर चल ना जल्दी,फिर बोलेगा वक़्त नहीं मिलता कुछ करने को" अरविंद ने मुझे खींचते हुए बोला और मैं उसके साथ चल पड़ा कैंटीन की तरफ ,वहां पहुँच कर रोज की तरह हमने खाना शुरू किया,लेकिन मुझे ख्यालों ने फिर घेर लिया। “ यार ये हो क्या रहा है मुझे,मैं पागल हो रहा हूँ.... सुबह से काम में लगा  ...

मौन(कविता)

एक बिंदु से बनी सृष्टि सृष्टि ने सृजन किया सूर्य का सूर्य की किरणों ने बनाये तरुवर,हरित से तरुवर, तरु ने विकसित किये सुमन सुमन से निकली सुगंध ये सगंध थी प्रेम की, अथाह प्रेम की प्रेम ने जकड़ लिया हमें हम तुम प्रेम के दो हिस्से बने प्रेम की पराकाष्ठा में पनपा मौन और मौन है हमारे बीच का सबसे खूबसूरत बिंदु © सेमवाल जी नवोदय वाले

ग्यारहवीं कक्षा

“चल न भाई जल्दी,वो आ गयी होगी....यार पहले ही दिन इंतजार कराना सही नहीं लगेगा।" ये शब्द थे अंश के ,वो मुझ से बहुत नाराज लग रहा था और होना भी लाजमी सा था क्योंकि आज उसकी पहली मुलाकात थी ‘उसके साथ'।इस मुलाकात के लिए क्या क्या नहीं किया था उसने ,जिस स्कूल में हम लोग थे वहां एक लड़की और लड़के की मुलाकात के कई मायने होते हैं।क्योंकि एक मुलाकात के लिए कुछ हमें करना पड़ता था वो शायद ही किसी ने किया होगा।     मैंने अंश की बात सुनी तो मेरे दिमाग में पिछले  नौ दस महीनों की पूरी कहानी ताजा हो गई और ये कहानी थी अंश की।    कहीं न कही आप सब को ये तो लग ही गया होगा कि ये एक प्रेम कहानी हैं और प्रेम कहानी भी एक ऐसे स्कूल की जहाँ लड़के लड़की के प्यार तो दूर की बात दोस्ती पर भी सख्त पहरे लगे रहते हैं। ये जो प्रकरण है वो शुरू बहुत पहले हो गया था जब अंश नवीं कक्षा का एक उदयमान विद्यार्थी था और इस कहानी की नायिका मतलब भावना थी जो अंश से दो क्लास जूनियर मतलब सातवीं में थी, उस वक़्त हमारे दोनों मुख्य पात्र बिल्कुल बचपने में थे तो अंश का प्रस्ताव भावना समझ नहीं पाई या उसके  आस...

Solitude

I can feel the solitude Only whisper bell I am enjoying me, myself Here is serenity I can dwell Like Apart from world Listening sound of nature Pain sorrow doesn't travel In this part of curvature This wilderness is shaping me Making me more and more wild Like out of reach of everyone As not can understand prattle of child ©Semwal_ji_Navoday_wale

पिड़ान्दी माया

गढवाली कविता पिड़ा मेरी लगदी नी कुछ त्वी ता किले नी दिखेन्दी ज़रा मैं त छू निर्भे,वक़्त कू मार्यू छू मी लुकि लुकि रुवेन्दी ज़रा मी ता बण्यु पासा इ खेल कू जेमा जीतण नी मिन कभी कौथिग जुग बैठी लगिन यख प्रेम कू सचे कि माया दिखण नी मिन कभी मेरा होण कू च नी क्वी असर कैल भी नी पड़ी दिनी आँखि जैका बिना नी लगदु पराण वैल भी छोड़ी दिनी माया की साँखी यकुल सी च मेरी यू आँखि नी च कैकु भी दगडू मी तेई मेरा त चली गिन सब संगी छोड़ी नी लगदु क्वे अपणु मी तेई कन के थामण ये हिया को गाँठु जैल मेरी जिकुड़ी बड़ी रुलाई हे!देवा त्वेन सब का बाद किले यी पीडान्दी माया सी बणाई अभिषेक सेमवाल

शौर्यांगिनी

एक कविता समर्पित युद्ध में शहीद हुए वीरों की प्रेम गाथा को                    शौर्यांगिनी अमर प्रेम शौर्य बलिदान की गाथायें अनेक है कोई भूली बिसरी कोई अमर रही जग में वो निश्छल सा प्रेम,स्वार्थ रहित भाव स्पन्दित होता ऐसे प्रेमियों की रग रग में सबसे ऊपर उस तरुणा का प्रेम उसका वरण शौर्य पहरेदार सिपाही को सबसे पावन वो अजर अमर हैं चूम लेती वो शहादत की रक्तिम स्याही को आँखों में आँसू एक ना था उसके वरन् उसके तो नयनों में एक गर्व था उसका चाँद ढला आज गुम हो गया चहु ओर दिशाओं में वीरता का पर्व था कदम थामे वो चल रही थी जनाजे में देखते ख्वाब उसके,उसकी यादें रोती भी तो कैसे वो कोमला फफककर किये थे ना रोने के यार से वादे वो पत्त्थर सीने को अपने किये हुए बीच सबके तो चल रही थी हाथ सलामी दे रहे काँपते काँपते जब प्रियतम की चिता धू धू जल रही थी काँप रहे थे हाथ काँप रही थी देह शहादत मेरे प्रेम की क्या रंग लायेगी ये जो भावनाएं  उमड़ी है सबकी वो हमेशा के लिए क्या टिक पाएगी होगा भला मेरे बच्चों का कभी या ससुर मेरे सिर्फ च...