PLAYLIST (story)
“जी सर,जैसा आपने कहा बिल्कुल वैसे ही होगा"।मैंने कहा तो मेरे बॉस ने मुझे अविश्वास की नजरों से देखा जैसे उन्हें भरोसा न हो रहा हो,और होता भी कैसे मैं पिछले सात असाइनमेंट जो पूरे नहीं कर पाया था। मैं बॉस के केबिन से बाहर निकला ही था कि मुझे मेरे साथी अरविंद ने आवाज दी -“अबे यार चल ना लंच टाइम हो गया हैं, चलते है कैंटीन"।ये सुनकर मैंने आफिस की वाल क्लॉक पर सरसरी निगाह डाली तो वो दिन के 1:30 बजा रही थी। अभी तो सुबह अलार्म बजा था मैं बड़ी आधी अधूरी नींद छोड़कर जबरदस्ती तैयार हो कर ऑफिस आया हूँ और इतनी जल्दी ये वक़्त बीत गया कुछ काम भी नहीं कर पा रहा हूं ,ये क्या हो रहा है मुझे आजकल मैं क्यों वक़्त और अपनी जिंदगी के बीच समन्वय नहीं कर पा रहा हूँ “ओ मेरे गरीबों के सस्ते से राहत इंदौरी , कहाँ खो गया फिर चल ना जल्दी,फिर बोलेगा वक़्त नहीं मिलता कुछ करने को" अरविंद ने मुझे खींचते हुए बोला और मैं उसके साथ चल पड़ा कैंटीन की तरफ ,वहां पहुँच कर रोज की तरह हमने खाना शुरू किया,लेकिन मुझे ख्यालों ने फिर घेर लिया। “ यार ये हो क्या रहा है मुझे,मैं पागल हो रहा हूँ.... सुबह से काम में लगा ...