शौर्यांगिनी
एक कविता समर्पित युद्ध में शहीद हुए वीरों की प्रेम गाथा को
शौर्यांगिनी
अमर प्रेम शौर्य बलिदान की गाथायें अनेक है
कोई भूली बिसरी कोई अमर रही जग में
वो निश्छल सा प्रेम,स्वार्थ रहित भाव
स्पन्दित होता ऐसे प्रेमियों की रग रग में
सबसे ऊपर उस तरुणा का प्रेम
उसका वरण शौर्य पहरेदार सिपाही को
सबसे पावन वो अजर अमर हैं
चूम लेती वो शहादत की रक्तिम स्याही को
आँखों में आँसू एक ना था उसके
वरन् उसके तो नयनों में एक गर्व था
उसका चाँद ढला आज गुम हो गया
चहु ओर दिशाओं में वीरता का पर्व था
कदम थामे वो चल रही थी जनाजे में
देखते ख्वाब उसके,उसकी यादें
रोती भी तो कैसे वो कोमला फफककर
किये थे ना रोने के यार से वादे
वो पत्त्थर सीने को अपने किये हुए
बीच सबके तो चल रही थी
हाथ सलामी दे रहे काँपते काँपते
जब प्रियतम की चिता धू धू जल रही थी
काँप रहे थे हाथ काँप रही थी देह
शहादत मेरे प्रेम की क्या रंग लायेगी
ये जो भावनाएं उमड़ी है सबकी
वो हमेशा के लिए क्या टिक पाएगी
होगा भला मेरे बच्चों का कभी
या ससुर मेरे सिर्फ चक्कर लगाएंगे
दफ्तरो का सरकारों का चाटुकारो का
और खुद को अभागे शहीद का बाप बताएँगे
संभालना है उसे अपने शावको को
उस बूढ़े बाप को जिसने खोया बेटा जवान
उस माँ की आस ,सूनी हो पड़ी उसकी कोख को
उस बहन को जिसने खो दिया अपना सम्मान
और सबसे ऊपर खुद का प्रेम था संभालना
था अनोखा शौर्य उसका वो शौर्यांगिनी
जो लुटा चला अपनी हस्ती सारी
वो थी उस वीर की वीरांगना अर्धांगिनी
अभिषेक सेमवाल
शौर्यांगिनी
अमर प्रेम शौर्य बलिदान की गाथायें अनेक है
कोई भूली बिसरी कोई अमर रही जग में
वो निश्छल सा प्रेम,स्वार्थ रहित भाव
स्पन्दित होता ऐसे प्रेमियों की रग रग में
सबसे ऊपर उस तरुणा का प्रेम
उसका वरण शौर्य पहरेदार सिपाही को
सबसे पावन वो अजर अमर हैं
चूम लेती वो शहादत की रक्तिम स्याही को
आँखों में आँसू एक ना था उसके
वरन् उसके तो नयनों में एक गर्व था
उसका चाँद ढला आज गुम हो गया
चहु ओर दिशाओं में वीरता का पर्व था
कदम थामे वो चल रही थी जनाजे में
देखते ख्वाब उसके,उसकी यादें
रोती भी तो कैसे वो कोमला फफककर
किये थे ना रोने के यार से वादे
वो पत्त्थर सीने को अपने किये हुए
बीच सबके तो चल रही थी
हाथ सलामी दे रहे काँपते काँपते
जब प्रियतम की चिता धू धू जल रही थी
काँप रहे थे हाथ काँप रही थी देह
शहादत मेरे प्रेम की क्या रंग लायेगी
ये जो भावनाएं उमड़ी है सबकी
वो हमेशा के लिए क्या टिक पाएगी
होगा भला मेरे बच्चों का कभी
या ससुर मेरे सिर्फ चक्कर लगाएंगे
दफ्तरो का सरकारों का चाटुकारो का
और खुद को अभागे शहीद का बाप बताएँगे
संभालना है उसे अपने शावको को
उस बूढ़े बाप को जिसने खोया बेटा जवान
उस माँ की आस ,सूनी हो पड़ी उसकी कोख को
उस बहन को जिसने खो दिया अपना सम्मान
और सबसे ऊपर खुद का प्रेम था संभालना
था अनोखा शौर्य उसका वो शौर्यांगिनी
जो लुटा चला अपनी हस्ती सारी
वो थी उस वीर की वीरांगना अर्धांगिनी
अभिषेक सेमवाल
Gjb bhai mera
ReplyDelete👌👌👌👌
ReplyDeleteBdiya
ReplyDeleteBahut khoob
ReplyDeleteGzzb bhaii ♥️ ♥️ Jai hind 🇮🇳 🇮🇳 🇮🇳
ReplyDeleteAre wah bhai ❤️
ReplyDeleteBhulla cha gya ❣️
ReplyDeleteWell done Abhishek keep..it up
ReplyDeleteलाजवाब ! भैया जी !
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