ग्यारहवीं कक्षा
“चल न भाई जल्दी,वो आ गयी होगी....यार पहले ही दिन इंतजार कराना सही नहीं लगेगा।" ये शब्द थे अंश के ,वो मुझ से बहुत नाराज लग रहा था और होना भी लाजमी सा था क्योंकि आज उसकी पहली मुलाकात थी ‘उसके साथ'।इस मुलाकात के लिए क्या क्या नहीं किया था उसने ,जिस स्कूल में हम लोग थे वहां एक लड़की और लड़के की मुलाकात के कई मायने होते हैं।क्योंकि एक मुलाकात के लिए कुछ हमें करना पड़ता था वो शायद ही किसी ने किया होगा।
मैंने अंश की बात सुनी तो मेरे दिमाग में पिछले नौ दस महीनों की पूरी कहानी ताजा हो गई और ये कहानी थी अंश की।
कहीं न कही आप सब को ये तो लग ही गया होगा कि ये एक प्रेम कहानी हैं और प्रेम कहानी भी एक ऐसे स्कूल की जहाँ लड़के लड़की के प्यार तो दूर की बात दोस्ती पर भी सख्त पहरे लगे रहते हैं। ये जो प्रकरण है वो शुरू बहुत पहले हो गया था जब अंश नवीं कक्षा का एक उदयमान विद्यार्थी था और इस कहानी की नायिका मतलब भावना थी जो अंश से दो क्लास जूनियर मतलब सातवीं में थी, उस वक़्त हमारे दोनों मुख्य पात्र बिल्कुल बचपने में थे तो अंश का प्रस्ताव भावना समझ नहीं पाई या उसके आस पास का माहौल मतलब सीनियर लड़कियों का दवाब ,वार्डन का डर और छोटी उम्र ने समझने नहीं दिया,ये तो कहा नहीं जा सकता पर चलिए छोड़िये इसका हमारी कहानी पर कोई ज्यादा असर नहीं है इसे बस समझ लीजिए कि ये सब प्रस्तावना हैं हमारी कहानी की ।
तो अब आते हैं असली कहानी की ओर जो की ग्यारहवीं कक्षा की है,अंश ने स्कूल टॉप किया था दसवी के बोर्ड में और उसे बना दिया गया स्कूल कैप्टन मतलब स्कूल के सारे वो काम जो बच्चों से जुड़े होते थे वो उसके हाथों में थे,इसी बीच वो हुआ जिसने अंश के आने वाले अगले दो साल पूरी तरह यादगार बना दिये,हुआ कुछ यूं कि भावना को बना दिया गया गर्ल्स जूनियर हॉउस की कप्तान इसका मतलब वो भी काफी अच्छी और प्रतिभाशाली लड़की थी।
एक और चीज है जो बतानी जरूरी हैं वैसे कोई खास बात लगती नहीं पर हमारी कहानी में बिल्कुल जरूरी है वो ये कि हमारे स्कूल में रोज सुबह हॉस्टल के रजिस्टर पर प्रिंसिपल के सिग्नेचर कराने पड़ते थे कप्तान लोगो को तो ऐसे में रोज सुबह हम लोग(मैं भी नीलगिरी का कप्तान था) सिग्नेचर कराने के लिए जाते थे और इसी तरह अंश और भावना की मुलाकातें रोज होने लगी थी और स्कूल में अक्सर किसी भी कार्यक्रम और कोई भी क्रियाकलाप से पहले सभी हॉउस के कप्तानों की मीटिंग प्रिंसिपल लेते थे तो अब अंश और भावना में मेल जोल बढ़ने लग गया था। और छोटी मोटी बातचीतों का दौर हो गया था शुरु। अब अंश तो ऐसी उम्र में था जहाँ अक्सर दिल जोरों से धड़कने लगता हैं,प्रेम नामक रोग अच्छे से अच्छे लड़के को घायल कर जाता हैं तो अंश का झुकाव अब भावना की ओर होने लगा था उसके चेहरे पर एक अलग ही तेज आ गया था।खास कर रविवार को जब सारा का सारा स्कूल बिल्कुल सज धज कर बिल्कुल तरोताजा हो कर काउंटिंग के लिए मैदान में आता था,उस दिन सभी लोग बड़े अच्छे दिखते थे(कुछ अपवादों को छोड़कर)।अब आप सोचेंगे इसका हमारी कहानी से क्या संबंध,इसका बिल्कुल संबंध हैं तो रविवार या किसी भी और छुट्टी के दिन अंश की नजरें सारी खूबसूरत लड़कियों के बीच में सिर्फ भावना को ढूंढती थी, और उसे भरी भीड़ में भी झट से पहचान लेती थी। ये सिलसिला दिनोदिन बढ़ता जा रहा था या यूं कह लीजिए की प्रेम रोग अंश को पूरी तरह से काबू करने लग गया था। और उन दिनों माहौल कुछ ऐसा हो गया था कि हमारी क्लास में दो तीन जोड़ें(प्रेमी युगल )बन गए थे,और ये सब अंश के अंदर प्रेम की आग को हवा देने का काम कर रही थी। अब वो एकदम से प्रेमी हो गया था और ये सब कुछ हम सब लोगों से किसी भी तरह छुपा नहीं था। तो अब दोनों को एक करने के लिए छोटी मोटी कोशिशें शुरू हो गई थी, भावना के बारे में सारी जानकारी अंश ने इकट्ठी कर ली थी, लेकिन एक समस्या थी वो जूनियर थी और अक्सर हमारे स्कूल में सीनियर जूनियर के प्रेम को बहुत सारी अड़चनों का सामना करना पड़ता था और फिर उस वक़्त हम लोगो के और नवी कक्षा के लड़कों के संबंध कुछ खास अच्छे नहीं थे,जैसा कि अक्सर सीनियर और जूनियर में होता है तो अब यही समस्या सामने थी अंश के उसके दिमाग में चल रहा था कि कहीं ये खट्टे रिश्ते उसकी प्रेम कहानी को शुरू होने से पहले ही ख़तम ना कर दे(क्योंकि हमारे स्कूल में किसी भी प्रेम कहानी पर क्लास का बहुत असर होता हैं,और इसे में दोनों कक्षाओं के लड़कों के बीच की तनातनी बहुत नुकसान कर सकती थी)।
अंश अब बड़ी सावधानी के साथ फूंक फूंक कर कदम बढ़ा रहा था ,इसे में एक उड़ती उड़ती खबर आई उसके कानों में कि भावना की क्लास का एक लड़का भी अपनी खिचड़ी पकाने के चक्कर में हैं तो अब तो प्रेम प्रस्ताव रखना ही था अंश को तो ऐसे में उसने भी तय कर लिया कि अब आर पार हो जाए ,अब समस्या थी कि कैसे दिल की बात पहुंचे भावना के पास ,सीधे सीधे ऐसी बात करना तो मुश्किल था क्योंकि माहौल कुछ ऐसा बना रहता था कि पकड़े जाने का बहुत डर बना रहता था तो ऐसे में अंश ने अपनाया सदियों से चला आ रहा तरीका जो कि ना जाने कितने ही प्रेमियों कि नय्या पार लगा चुका था वो था प्रेम पत्र वैसे ये तरीका हमारे स्कूल में बहुत आम था और अंश भी एक दो बार ये आजमा चुका था, तो बस क्या था अब अंश ने उठाई एक अच्छी सी डायरी और उसका एक अच्छा सा पन्ना ले लिया लिखने के लिए(ये अंश अक्सर करता था क्योंकि उसका मानना था कि अच्छे से कागज से अच्छा प्रभाव पड़ता हैं ),तो उसने लिख दिया प्रेम पत्र एक बिल्कुल शांत मन से अच्छी सी लिखावट में,अच्छी सी कलम से,और अगले ही दिन उसने हमारी क्लास की एक लड़की जो कि उसके लिए और हम सब प्रेमियों के लिए सबसे विश्वाश पात्र थी क्योंकि उसने हमेशा हमारी क्लास के सभी प्रेमियों का पूरा साथ दिया था, उसके पास दे दिया प्रेम पत्र।(इस लड़की के बारे में किसी और दिन चर्चा करेंगे क्योंकि वो ऐसी लड़की हैं जिस पर एक पूरी कहानी लिखी जा सकती हैं)।
अब आते हैं अंश के हाल पर उसने प्रेम पत्र तो दे दिया था,इसमें कोई खास दिक्कत नहीं हुई पर असली समस्या अब आने वाली थी उसके सामने वो था जवाब आने से पहले का इंतजार,ये वो वक़्त था जिसने अंश को एकदम से पागल कर दिया था ये इंतजार उसे खाए जा रहा था,उसके मन में दुनिया के सारे विचार उमड़ रहे थे मतलब अच्छे बुरे सब ख्याल उसके दिमाग के दिल के आर पार हो रहे थे।अब ऐसे में जवाब आया और जैसा कि अंश को डर था वहीं हुआ शायद दोनों कक्षाओं की बीच की दीवार उसके प्रेम के बीच आ गई और जवाब था नहीं।
अब ये वाकया लगभग सब जान चुके थे, अंश एकदम हतप्रभ था भले वो अपने भाव छुपाने की बड़ी कोशिश कर रहा था और काफी हद तक सफल भी हो गया था खुद को सामान्य दिखने में ,लेकिन कहीं ना कहीं प्रेम प्रस्ताव का ठुकराया जाना उसे अंदर ही अंदर परेशान कर रहा था। अब हालात काफी बदल गए थे उसके और भावना के बारे में दोनों ही कक्षाओं में चर्चा होने लगी थी और अक्सर उसके कानों में पड़ने लगी थी और शायद इसी चीज ने उसके अंदर के प्रेमी को जगाए रखा और वो गिरकर फिर कोशिश करने को तैयार हो गया था।
और कोशिश तो करनी ही थी,क्योंकि प्रेम रोग ने जो पूरी तरह उसे जकड़ लिया था,अंश ने फिर लिख दिया एक प्रेम पत्र और इस बार तो और ज्यादा जज्बातों अल्फाजों और प्रेम का प्रयोग किया था और इस बार पत्र में थोड़ा डर भी था क्योंकि एक बार प्रेम प्रस्ताव ठुकरा दिया गया था और एक डर ये भी था कि कहीं वो शिकायत ना कर दे वार्डन के पास,तो इन्हीं हालातों के बीच उसने भेज दिया पत्र भावना के पास और फिर वही इंतजार जवाब का,पर कहीं ना कहीं उम्मीद बहुत थी इस बार और आखिरकार जवाब आया इस बार का जवाब ऐसा था कि उसने अंश के प्रेम को एक अलग नजरिया दे दिया सोचने का तो जवाब कुछ ऐसा था कि भावना ने सीधा ना नहीं बोला था बल्कि अपनी और अंश की प्रेम कहानी की दुश्वारियों की बात कही थी,मतलब लड़की ने सोचा तो बहुत कुछ था,चीजे थोड़ी सी उलझ गई थी और अंश को बड़ी ही बारीकी से ये मामला सुलझाना था,क्योंकि ऐसा लग रहा था कि लड़की मान गई है , और साथ ही साथ नहीं भी मानी थी क्योंकि उसने कई सारी दिक्कतों का जिक्र किया था जो की प्रेम के बीच आ रही थी तो ऐसे में अंश बड़ी सावधानी से इस चीज पर सोचने लग गया,लेकिन उसका प्रेम रोग अब पराकाष्ठा पर था सीधा सा सोचने वाला लड़का कवियों जैसे सोचने लग गया था और कविताएं भी लिखने लग गया था,अब वो कोई भी मौक़ा नहीं छोड़ता जहां वो भावना कि नज़रों में अच्छा बने,ऐसे में ग्यारहवीं कक्षा की परीक्षाएं हो गई और भावना की नवीं कक्षा की,अब काफी वक्त बीत चुका था और कुछ करना जरूरी हो गया था और हां एक बात अब इस वक़्त तक भावना की कक्षा के लड़कों पर हम लोगो का वरचस्व स्थापित हो चुका था क्योंकि हम सीनियर थे और अपने पूरे उफान पर आ चुके थे तो वो अब शायद कोई दिक्कत नहीं करने वाले थे।
फिर आया स्कूल के वार्षिक खेल कार्यक्रम का इसमें सभी बच्चे खेलते थे दिल लगा कर और अंश ने भी सोच लिया था कि इस बार दिल के इस खेल में जीतना ही है,बस अब एक पूरा प्लान बनाना था कि किसी भी तरह भावना को सारी चीजे समझा दी जाए ।तो ऐसे में अंश ने निकाल ही लिया मौक़ा और वो था शाम का वक्त जब सारे खेल मैदान में हो रहे थे और स्कूल बिल्कुल खाली रहता था और शांतिपूर्ण बातचीत के लिए बिल्कुल मुफीद था तो हो गया तय कि शाम को बुलाया जाए भावना को और अंश ने मुझे भी तैयार के लिया था साथ में चलने के लिए ,वैसे असली काम तो मेरा ही था और वो ये कि मैं पूरे स्कूल की निगरानी करूं तो मैं भी अब तैयार था।
ये सब दृश्य मेरी आंखो के सामने तैर रहे थे बिल्कुल साफ साफ ,और अब शायद फैसले की घड़ी आ गई थी तो मैंने भी कहा अंश से -“चल भाई चलते हैं,तेरा मामला आज आर पार कर देंगे ।" और हम दोनों मैदान से सबकी नज़रे बचाते हुए कैंटीन के रास्ते स्कूल में पहुंच गए भले वहां कोई नहीं था पर फिर भी पकड़े जाने का बहुत डर था तो ऐसे में हम दोनों पहुंच गए स्टाफ रूम के बाहर जहां मिलना तय था,उसके साथ एक और लड़की आयी थी और मैंने सोचा मेरा काम आसान हो गया क्योंकि एक तरफ वो नजर रखेगी और एक तरफ मैं, चलिए य हुई मेरी बात अब आते हैं अंश पर वो भावना के साथ अंदर चला गया वो शायद बहुत कुछ सोच कर आया था।
“कैसी हो तुम,ठीक तो हो ना"उसने बात चीत शुरू की,“मैं ठीक हूं "ये जवाब था भावना का उसकी आवाज सुनकर अंश तो एक दम से मंत्रमुगध सा हो गया बिल्कुल बच्चों जैसी,अंश उसकी आंखें में खो सा गया था उसके चेहरे पर एक अलग ही भाव था जिस पर से अंश की नज़रे हटने का नाम नहीं ले रही थी उसने खुद को संभाल कर कहा -“तुम जानती हो ना मैंने तुम्हें क्यों बुलाया हैं?"भावना ने कहा - “आप भी सब जानते हो.....और मुझे लगता है मुझ से बेहतर जानते हो।" ये जवाब सुनकर अंश बिल्कुल स्तब्ध रह गया,वो जानता था कि भावना काफी तेज हैं पर इतनी तेज होगी कि उसे बिल्कुल निरुत्तर कर देगी ये सोचा नहीं था।
अब बारी थी अंश की, वो समझ गया था अगर भावना के दिल के आर पार जाना है तो पहले उसके शब्दों के आर पार होना होगा,तो उसने भी अपनी आवाज संभालते हुए कहा -“देखो यार मुझे सब पता है कि तुम्हारे सामने क्या क्या दिक्कतें है पर सच मानो की मेरी हालत भी बिल्कुल ऐसी ही है,तुम अभी सिर्फ दुनिया की सोच रही हो लेकिन मैं तो सिर्फ तुम्हारी ही सोच रहा हूं मेरे दिल के हाल ऐसे हैं कि तुम मेरे लिए ऑक्सीजन बनती जा रही हो और तुम अच्छे से जानती हो जब बात जिंदगी पर आती हैं तो आदमी कुछ भी के गुजरने को तैयार हो जाता है,और यही सब मैं इस वक़्त करने को तैयार हूं,सिर्फ तुम्हारे लिए।" अंश जानता था कि ये बहुत ही बड़ा और अतिशयोक्ति से भरा डायलॉग था लेकिन उसे इस वक़्त हर कोशिश करनी थी और शायद उसकी कोशिश रंग ला रही थी क्योंकि भावना के चेहरे के भाव बदल रहे थे और इसी बीच अंश ने अगला हमला करने की ठान ली।
मैंने अंश की बात सुनी तो मेरे दिमाग में पिछले नौ दस महीनों की पूरी कहानी ताजा हो गई और ये कहानी थी अंश की।
कहीं न कही आप सब को ये तो लग ही गया होगा कि ये एक प्रेम कहानी हैं और प्रेम कहानी भी एक ऐसे स्कूल की जहाँ लड़के लड़की के प्यार तो दूर की बात दोस्ती पर भी सख्त पहरे लगे रहते हैं। ये जो प्रकरण है वो शुरू बहुत पहले हो गया था जब अंश नवीं कक्षा का एक उदयमान विद्यार्थी था और इस कहानी की नायिका मतलब भावना थी जो अंश से दो क्लास जूनियर मतलब सातवीं में थी, उस वक़्त हमारे दोनों मुख्य पात्र बिल्कुल बचपने में थे तो अंश का प्रस्ताव भावना समझ नहीं पाई या उसके आस पास का माहौल मतलब सीनियर लड़कियों का दवाब ,वार्डन का डर और छोटी उम्र ने समझने नहीं दिया,ये तो कहा नहीं जा सकता पर चलिए छोड़िये इसका हमारी कहानी पर कोई ज्यादा असर नहीं है इसे बस समझ लीजिए कि ये सब प्रस्तावना हैं हमारी कहानी की ।
तो अब आते हैं असली कहानी की ओर जो की ग्यारहवीं कक्षा की है,अंश ने स्कूल टॉप किया था दसवी के बोर्ड में और उसे बना दिया गया स्कूल कैप्टन मतलब स्कूल के सारे वो काम जो बच्चों से जुड़े होते थे वो उसके हाथों में थे,इसी बीच वो हुआ जिसने अंश के आने वाले अगले दो साल पूरी तरह यादगार बना दिये,हुआ कुछ यूं कि भावना को बना दिया गया गर्ल्स जूनियर हॉउस की कप्तान इसका मतलब वो भी काफी अच्छी और प्रतिभाशाली लड़की थी।
एक और चीज है जो बतानी जरूरी हैं वैसे कोई खास बात लगती नहीं पर हमारी कहानी में बिल्कुल जरूरी है वो ये कि हमारे स्कूल में रोज सुबह हॉस्टल के रजिस्टर पर प्रिंसिपल के सिग्नेचर कराने पड़ते थे कप्तान लोगो को तो ऐसे में रोज सुबह हम लोग(मैं भी नीलगिरी का कप्तान था) सिग्नेचर कराने के लिए जाते थे और इसी तरह अंश और भावना की मुलाकातें रोज होने लगी थी और स्कूल में अक्सर किसी भी कार्यक्रम और कोई भी क्रियाकलाप से पहले सभी हॉउस के कप्तानों की मीटिंग प्रिंसिपल लेते थे तो अब अंश और भावना में मेल जोल बढ़ने लग गया था। और छोटी मोटी बातचीतों का दौर हो गया था शुरु। अब अंश तो ऐसी उम्र में था जहाँ अक्सर दिल जोरों से धड़कने लगता हैं,प्रेम नामक रोग अच्छे से अच्छे लड़के को घायल कर जाता हैं तो अंश का झुकाव अब भावना की ओर होने लगा था उसके चेहरे पर एक अलग ही तेज आ गया था।खास कर रविवार को जब सारा का सारा स्कूल बिल्कुल सज धज कर बिल्कुल तरोताजा हो कर काउंटिंग के लिए मैदान में आता था,उस दिन सभी लोग बड़े अच्छे दिखते थे(कुछ अपवादों को छोड़कर)।अब आप सोचेंगे इसका हमारी कहानी से क्या संबंध,इसका बिल्कुल संबंध हैं तो रविवार या किसी भी और छुट्टी के दिन अंश की नजरें सारी खूबसूरत लड़कियों के बीच में सिर्फ भावना को ढूंढती थी, और उसे भरी भीड़ में भी झट से पहचान लेती थी। ये सिलसिला दिनोदिन बढ़ता जा रहा था या यूं कह लीजिए की प्रेम रोग अंश को पूरी तरह से काबू करने लग गया था। और उन दिनों माहौल कुछ ऐसा हो गया था कि हमारी क्लास में दो तीन जोड़ें(प्रेमी युगल )बन गए थे,और ये सब अंश के अंदर प्रेम की आग को हवा देने का काम कर रही थी। अब वो एकदम से प्रेमी हो गया था और ये सब कुछ हम सब लोगों से किसी भी तरह छुपा नहीं था। तो अब दोनों को एक करने के लिए छोटी मोटी कोशिशें शुरू हो गई थी, भावना के बारे में सारी जानकारी अंश ने इकट्ठी कर ली थी, लेकिन एक समस्या थी वो जूनियर थी और अक्सर हमारे स्कूल में सीनियर जूनियर के प्रेम को बहुत सारी अड़चनों का सामना करना पड़ता था और फिर उस वक़्त हम लोगो के और नवी कक्षा के लड़कों के संबंध कुछ खास अच्छे नहीं थे,जैसा कि अक्सर सीनियर और जूनियर में होता है तो अब यही समस्या सामने थी अंश के उसके दिमाग में चल रहा था कि कहीं ये खट्टे रिश्ते उसकी प्रेम कहानी को शुरू होने से पहले ही ख़तम ना कर दे(क्योंकि हमारे स्कूल में किसी भी प्रेम कहानी पर क्लास का बहुत असर होता हैं,और इसे में दोनों कक्षाओं के लड़कों के बीच की तनातनी बहुत नुकसान कर सकती थी)।
अंश अब बड़ी सावधानी के साथ फूंक फूंक कर कदम बढ़ा रहा था ,इसे में एक उड़ती उड़ती खबर आई उसके कानों में कि भावना की क्लास का एक लड़का भी अपनी खिचड़ी पकाने के चक्कर में हैं तो अब तो प्रेम प्रस्ताव रखना ही था अंश को तो ऐसे में उसने भी तय कर लिया कि अब आर पार हो जाए ,अब समस्या थी कि कैसे दिल की बात पहुंचे भावना के पास ,सीधे सीधे ऐसी बात करना तो मुश्किल था क्योंकि माहौल कुछ ऐसा बना रहता था कि पकड़े जाने का बहुत डर बना रहता था तो ऐसे में अंश ने अपनाया सदियों से चला आ रहा तरीका जो कि ना जाने कितने ही प्रेमियों कि नय्या पार लगा चुका था वो था प्रेम पत्र वैसे ये तरीका हमारे स्कूल में बहुत आम था और अंश भी एक दो बार ये आजमा चुका था, तो बस क्या था अब अंश ने उठाई एक अच्छी सी डायरी और उसका एक अच्छा सा पन्ना ले लिया लिखने के लिए(ये अंश अक्सर करता था क्योंकि उसका मानना था कि अच्छे से कागज से अच्छा प्रभाव पड़ता हैं ),तो उसने लिख दिया प्रेम पत्र एक बिल्कुल शांत मन से अच्छी सी लिखावट में,अच्छी सी कलम से,और अगले ही दिन उसने हमारी क्लास की एक लड़की जो कि उसके लिए और हम सब प्रेमियों के लिए सबसे विश्वाश पात्र थी क्योंकि उसने हमेशा हमारी क्लास के सभी प्रेमियों का पूरा साथ दिया था, उसके पास दे दिया प्रेम पत्र।(इस लड़की के बारे में किसी और दिन चर्चा करेंगे क्योंकि वो ऐसी लड़की हैं जिस पर एक पूरी कहानी लिखी जा सकती हैं)।
अब आते हैं अंश के हाल पर उसने प्रेम पत्र तो दे दिया था,इसमें कोई खास दिक्कत नहीं हुई पर असली समस्या अब आने वाली थी उसके सामने वो था जवाब आने से पहले का इंतजार,ये वो वक़्त था जिसने अंश को एकदम से पागल कर दिया था ये इंतजार उसे खाए जा रहा था,उसके मन में दुनिया के सारे विचार उमड़ रहे थे मतलब अच्छे बुरे सब ख्याल उसके दिमाग के दिल के आर पार हो रहे थे।अब ऐसे में जवाब आया और जैसा कि अंश को डर था वहीं हुआ शायद दोनों कक्षाओं की बीच की दीवार उसके प्रेम के बीच आ गई और जवाब था नहीं।
अब ये वाकया लगभग सब जान चुके थे, अंश एकदम हतप्रभ था भले वो अपने भाव छुपाने की बड़ी कोशिश कर रहा था और काफी हद तक सफल भी हो गया था खुद को सामान्य दिखने में ,लेकिन कहीं ना कहीं प्रेम प्रस्ताव का ठुकराया जाना उसे अंदर ही अंदर परेशान कर रहा था। अब हालात काफी बदल गए थे उसके और भावना के बारे में दोनों ही कक्षाओं में चर्चा होने लगी थी और अक्सर उसके कानों में पड़ने लगी थी और शायद इसी चीज ने उसके अंदर के प्रेमी को जगाए रखा और वो गिरकर फिर कोशिश करने को तैयार हो गया था।
और कोशिश तो करनी ही थी,क्योंकि प्रेम रोग ने जो पूरी तरह उसे जकड़ लिया था,अंश ने फिर लिख दिया एक प्रेम पत्र और इस बार तो और ज्यादा जज्बातों अल्फाजों और प्रेम का प्रयोग किया था और इस बार पत्र में थोड़ा डर भी था क्योंकि एक बार प्रेम प्रस्ताव ठुकरा दिया गया था और एक डर ये भी था कि कहीं वो शिकायत ना कर दे वार्डन के पास,तो इन्हीं हालातों के बीच उसने भेज दिया पत्र भावना के पास और फिर वही इंतजार जवाब का,पर कहीं ना कहीं उम्मीद बहुत थी इस बार और आखिरकार जवाब आया इस बार का जवाब ऐसा था कि उसने अंश के प्रेम को एक अलग नजरिया दे दिया सोचने का तो जवाब कुछ ऐसा था कि भावना ने सीधा ना नहीं बोला था बल्कि अपनी और अंश की प्रेम कहानी की दुश्वारियों की बात कही थी,मतलब लड़की ने सोचा तो बहुत कुछ था,चीजे थोड़ी सी उलझ गई थी और अंश को बड़ी ही बारीकी से ये मामला सुलझाना था,क्योंकि ऐसा लग रहा था कि लड़की मान गई है , और साथ ही साथ नहीं भी मानी थी क्योंकि उसने कई सारी दिक्कतों का जिक्र किया था जो की प्रेम के बीच आ रही थी तो ऐसे में अंश बड़ी सावधानी से इस चीज पर सोचने लग गया,लेकिन उसका प्रेम रोग अब पराकाष्ठा पर था सीधा सा सोचने वाला लड़का कवियों जैसे सोचने लग गया था और कविताएं भी लिखने लग गया था,अब वो कोई भी मौक़ा नहीं छोड़ता जहां वो भावना कि नज़रों में अच्छा बने,ऐसे में ग्यारहवीं कक्षा की परीक्षाएं हो गई और भावना की नवीं कक्षा की,अब काफी वक्त बीत चुका था और कुछ करना जरूरी हो गया था और हां एक बात अब इस वक़्त तक भावना की कक्षा के लड़कों पर हम लोगो का वरचस्व स्थापित हो चुका था क्योंकि हम सीनियर थे और अपने पूरे उफान पर आ चुके थे तो वो अब शायद कोई दिक्कत नहीं करने वाले थे।
फिर आया स्कूल के वार्षिक खेल कार्यक्रम का इसमें सभी बच्चे खेलते थे दिल लगा कर और अंश ने भी सोच लिया था कि इस बार दिल के इस खेल में जीतना ही है,बस अब एक पूरा प्लान बनाना था कि किसी भी तरह भावना को सारी चीजे समझा दी जाए ।तो ऐसे में अंश ने निकाल ही लिया मौक़ा और वो था शाम का वक्त जब सारे खेल मैदान में हो रहे थे और स्कूल बिल्कुल खाली रहता था और शांतिपूर्ण बातचीत के लिए बिल्कुल मुफीद था तो हो गया तय कि शाम को बुलाया जाए भावना को और अंश ने मुझे भी तैयार के लिया था साथ में चलने के लिए ,वैसे असली काम तो मेरा ही था और वो ये कि मैं पूरे स्कूल की निगरानी करूं तो मैं भी अब तैयार था।
ये सब दृश्य मेरी आंखो के सामने तैर रहे थे बिल्कुल साफ साफ ,और अब शायद फैसले की घड़ी आ गई थी तो मैंने भी कहा अंश से -“चल भाई चलते हैं,तेरा मामला आज आर पार कर देंगे ।" और हम दोनों मैदान से सबकी नज़रे बचाते हुए कैंटीन के रास्ते स्कूल में पहुंच गए भले वहां कोई नहीं था पर फिर भी पकड़े जाने का बहुत डर था तो ऐसे में हम दोनों पहुंच गए स्टाफ रूम के बाहर जहां मिलना तय था,उसके साथ एक और लड़की आयी थी और मैंने सोचा मेरा काम आसान हो गया क्योंकि एक तरफ वो नजर रखेगी और एक तरफ मैं, चलिए य हुई मेरी बात अब आते हैं अंश पर वो भावना के साथ अंदर चला गया वो शायद बहुत कुछ सोच कर आया था।
“कैसी हो तुम,ठीक तो हो ना"उसने बात चीत शुरू की,“मैं ठीक हूं "ये जवाब था भावना का उसकी आवाज सुनकर अंश तो एक दम से मंत्रमुगध सा हो गया बिल्कुल बच्चों जैसी,अंश उसकी आंखें में खो सा गया था उसके चेहरे पर एक अलग ही भाव था जिस पर से अंश की नज़रे हटने का नाम नहीं ले रही थी उसने खुद को संभाल कर कहा -“तुम जानती हो ना मैंने तुम्हें क्यों बुलाया हैं?"भावना ने कहा - “आप भी सब जानते हो.....और मुझे लगता है मुझ से बेहतर जानते हो।" ये जवाब सुनकर अंश बिल्कुल स्तब्ध रह गया,वो जानता था कि भावना काफी तेज हैं पर इतनी तेज होगी कि उसे बिल्कुल निरुत्तर कर देगी ये सोचा नहीं था।
अब बारी थी अंश की, वो समझ गया था अगर भावना के दिल के आर पार जाना है तो पहले उसके शब्दों के आर पार होना होगा,तो उसने भी अपनी आवाज संभालते हुए कहा -“देखो यार मुझे सब पता है कि तुम्हारे सामने क्या क्या दिक्कतें है पर सच मानो की मेरी हालत भी बिल्कुल ऐसी ही है,तुम अभी सिर्फ दुनिया की सोच रही हो लेकिन मैं तो सिर्फ तुम्हारी ही सोच रहा हूं मेरे दिल के हाल ऐसे हैं कि तुम मेरे लिए ऑक्सीजन बनती जा रही हो और तुम अच्छे से जानती हो जब बात जिंदगी पर आती हैं तो आदमी कुछ भी के गुजरने को तैयार हो जाता है,और यही सब मैं इस वक़्त करने को तैयार हूं,सिर्फ तुम्हारे लिए।" अंश जानता था कि ये बहुत ही बड़ा और अतिशयोक्ति से भरा डायलॉग था लेकिन उसे इस वक़्त हर कोशिश करनी थी और शायद उसकी कोशिश रंग ला रही थी क्योंकि भावना के चेहरे के भाव बदल रहे थे और इसी बीच अंश ने अगला हमला करने की ठान ली।
हो सकता है आपको ये मेरी भाषा थोड़ी वीर रस से भरी लगे लेकिन मेरा यकीन मानिए ये कहानी किसी वीरता से भरी लड़ाई से कम नहीं थी जिसमें जीतने के लिए योद्धा को सारी कोशिशें करनी थी ,और फिर युद्ध भी प्रेम युद्ध था।
अंश ने फिर बोलना शुरू किया -“ देखो यार मैं तुम्हे किसी भी तरह दुखी नहीं देखना चाहता ,और कभी तुम्हें दुखी होने भी नहीं दूंगा,हो सकता है कि मैं अपनी जिंदगी में कई लड़कियों से मिला हूं लेकिन को असर तुमने मुझ पर किया है वो एकदम जादू जैसा है हर वक़्त हर पल ,फील्ड में मेस में ,स्कूल में मेरी नजरे सिर्फ तुम्हें ढूंढ़ती है और जब तुम दिख जाती हो तो मानो ऐसा लगता है कि मैंने जग जीत लिया हो,यकीन मानो ये एहसास और भी हसीन हो सकता है अगर तुम मेरे साथ हो तो।"ये सुनकर भावना के चेहरे के भाव तेजी से बदलने लगे और वो भी शायद कुछ कहना चाहती थी शायद अपने दिल के हाल,भले उसने अंश के जितना नहीं महसूस किया था लेकिन जितना किया था वो शायद कहीं ना कहीं उसे भी परेशान किए जा रहा था। भावना -“ मैं जानती हूं आप बहुत अच्छे हो पढ़ाई में, स्पोर्ट्स में,हर चीज में अच्छे हो और मुझे पहले से ही अच्छे लगते हो ।”
ये सुनकर अंश तो एकदम से क्याप्प हो गया मतलब बिल्कुल दूसरी दुनिया में जाने जैसा एहसास था वो वही सुन रहा था जिसकी इच्छा थी और ये सब सुनना मतलब प्यार की जीत होना लगभग तय था।
ऐसे में भावना ने बोलना जारी रखा -“आप तो जानते हो की हमारी क्लास के लड़के आपके साथ कैसे रहते हैं ,मैंने सुना है आपने उन्हें बहुत बार मारा हैं,यही सब सुनकर और आपके डर से और मैडम के डर से मैंने आपको मना कर दिया क्योंकि अगर मैं आपको हां बोल देती तो मेरे दोस्त लोग मुझे अच्छा नहीं मानते और मैं उनकी नज़रों में आ जाती यही सब सोच कर मैंने मना कर दिया ,लेकिन जब से आपने दूसरा लेटर दिया है मैं सिर्फ आपके बारे में ही सोच रही हूं ।"
ये क्या बोल गई तुम,अंश अभी यही सोच रहा था,उसके अंदर अब तो प्रेम ने बिल्कुल तूफान मचा दिया जब भावना की तरफ से भी प्यार है ,अब तो वो भावना के लिए कुछ भी,मतलब किसी भी हद तक जाने को तैयार था।
अंश ने कहा -“अब तुम चिंता मत करो,अब मैं सब सही कर दूंगा, सारी मुश्किलों से लड़ जाऊंगा क्योंकि मेरी हर सांस तुम्हारी हैं और मैं जानता हूं कि अब तुम मेरे साथ हो.......हो ना?"
“हां मैं बिल्कुल आपके साथ हूं,और हमेशा रहूंगी।"
ये सुनकर अंश तो एकदम से क्याप्प हो गया मतलब बिल्कुल दूसरी दुनिया में जाने जैसा एहसास था वो वही सुन रहा था जिसकी इच्छा थी और ये सब सुनना मतलब प्यार की जीत होना लगभग तय था।
ऐसे में भावना ने बोलना जारी रखा -“आप तो जानते हो की हमारी क्लास के लड़के आपके साथ कैसे रहते हैं ,मैंने सुना है आपने उन्हें बहुत बार मारा हैं,यही सब सुनकर और आपके डर से और मैडम के डर से मैंने आपको मना कर दिया क्योंकि अगर मैं आपको हां बोल देती तो मेरे दोस्त लोग मुझे अच्छा नहीं मानते और मैं उनकी नज़रों में आ जाती यही सब सोच कर मैंने मना कर दिया ,लेकिन जब से आपने दूसरा लेटर दिया है मैं सिर्फ आपके बारे में ही सोच रही हूं ।"
ये क्या बोल गई तुम,अंश अभी यही सोच रहा था,उसके अंदर अब तो प्रेम ने बिल्कुल तूफान मचा दिया जब भावना की तरफ से भी प्यार है ,अब तो वो भावना के लिए कुछ भी,मतलब किसी भी हद तक जाने को तैयार था।
अंश ने कहा -“अब तुम चिंता मत करो,अब मैं सब सही कर दूंगा, सारी मुश्किलों से लड़ जाऊंगा क्योंकि मेरी हर सांस तुम्हारी हैं और मैं जानता हूं कि अब तुम मेरे साथ हो.......हो ना?"
“हां मैं बिल्कुल आपके साथ हूं,और हमेशा रहूंगी।"
तो ये थी अंश की कहानी भावना की कहानी।
प्यार ने हमेशा मुश्किलें सही है और आगे भी सहता रहेगा लेकिन प्यार हमेशा जिंदा रहेगा ,हम सब के दिल में.....
❤❤❤👍👀bdiya ashiq
ReplyDeleteHaaye... Yaden taja ho gyi❤️
ReplyDeleteHyee😍😍
ReplyDeleteWow..
ReplyDeleteThis one gave me a huge flashback of things that we have been 🍃❤️
bde hoke mastram likhega beta 🤣😁❣️❣️❣️❣️❣️
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