तुम्हारे लिए प्रेम पत्र

मेरी प्रियतमा,

कैसी हो तुम??उम्मीद करता हूँ तुम अच्छी होगी, मैं भी सही हूँ। आज तुम्हें अधखिले और अधभरे मन से पत्र लिख रहा हूँ,अधभरा मन इसलिए कि मेरा मन इस बात को लेकर भर आता है कि हम तुम अब साथ नहीं हैं, जीवन के उतार चढ़ावों में शायद हम दोनों एक दूसरे को संभाल नहीं सकें,हमने एक दूसरे के हाथों को कसकर नहीं थामा होगा तभी हमारे हाथ छूट गये होंगे,और हमारा साथ भी छूट गया।

मेरा मन अधखिला इसलिए है कि मेरे पास प्रेमिका तो नहीं है, लेकिन प्रेम बहुत सारा है,तुम्हारा प्रेम,हमारा प्रेम, प्रेम जिसने मेरे जीवन की सारी परिभाषाएँ बदल दी है।तुम्हारे साथ बिताये खुशियों के पल मेरे लिए मानो नीले से आसमान में गुलाबी बादलों की तरह थे,जो सिर्फ सुहाना मौसम ही नहीं लाये बल्कि मेरे जीवन में वो क्षण लाये थे जिन्होंने मुझे एक आम लड़के से इंसान बनाया है, मुझे जीना सिखाया है।

तुम्हारे मुझ से अलग हो जाने के बाद वो सारे गुलाबी बादल काले से हो गये हैं, ये बहुत बड़ी उपमा हो सकती है लेकिन मैं ऐसा नहीं कहता कि काले बादलों से जीवन में कुछ बुरा हुआ है, ये तो शायद कले रंग के साथ नाइंसाफी होगी क्योंकि उसका भी अपना अस्तित्व है और अपना महत्व भी, रही बात यहां पर तो मुझे कभी भी ऐसा नहीं लगा कि सब खत्म हो मतलब मेरा जीवन रुक सा गया हो या मेरा सांस लेना बंद हो गया या मेरे साथ बुरा हुआ है, ये चीजें बाहर से ही दिखती है लेकिन होती नहीं है, लेकिन हाँ तुम्हें बता रहा हूँ कि बस इतना हुआ है कि मेरे जीवन में एक नितांत अधूरापन सा छा गया है, आज मुझे तुम से इसी अधूरेपन की बातें करनी है.....या ऐसा बोलूँ कि लिखनी है तो सुनिए आप......

यूँ तो हर किसी की अपनी धारणा हो सकती है इस अधूरेपन को लेकर,सबके अपने अपने विचार और नजरिया हो सकता है। ज्यादातर लोगों के हिसाब से ये अधूरापन अच्छा नहीं होता है, लेकिन मैं तुमसे सच कहूँ तो तुम्हारे न होने से जो अधूरापन मेरे जीवन में आया है उसने मुझे शुरुआत में बहुत परेशान किया लेकिन वक़्त जो कि हर चीज की दवा उसने स्थिति बदल दी और अब ना उसे मैं जीने लग गया हूँ.....हाँ मैं बिल्कुल सच कह रहा हूँ, मुझे ये अधूरापन बहुत अच्छा लगने लगा है, तुम सोचोगी कि मैं पागल हो गया हूँ लेकिन ये सच है क्योंकि इस अधूरेपन में  मुझे भविष्य की अनेक संभावनाओं के अपरिमित कण दिखाई देते हैं, जिनमें से एक एक कण  अपने अंदर असीमित उम्मीदें, असीमित भविष्य की छवियाँ लिए हुए हैं, जिनमंन जाने कितने जीवन के सुनहरे पल होंगे, जिनमें खुशी,उल्हास नव जीवन का संचार होगा और हाँ जहाँ अच्छाई है वहाँ बुराई भी होगा तो ये भी हो सकता है किसी कण में बहुत भयावह जीवन हो, या कुछ ऐसा हो जो मानव इतिहास में अभी तक घटित ना हुआ हो.......मैं दिल पर हाथ रख कर कहता हूँ कि मैं बिल्कुल नहीं जानता कि क्या होगा भविष्य में लेकिन..... मैं इतना जानता हूँ कि संभावनाएं अनेक हैं  और वो संभावनाएँ सृजन को दर्शाती  है कुछ तो सृजन होगा, और जब इतना ज्यादा अधूरापन है तो कितनी ज्यादा संभावनाएँ होंगी और कितने ही नए सृजन......

तुम्हारे न होने के कारण जो ये अधूरापन पनपा है, वो मुझे यही सिखा रहा है कि, प्रेम में हमेशा कुछ ना करने की कुछ बेहतर करने की गुंजाइश हमेशा बनी रहती है , मतलब ये कि प्रेम खुद को हमेशा विकसित ही करता है चाहे वो दो लोगों के भीतर एक होकर रहे या एक ही के हृदय में, इस बात का अंदाजा तुम इस बात से लगा सकती हो कि हमारा प्रेम अधूरा रहा.....अगर ये प्रेम पूरा हो जाता तो ये किसी ना किसी रिश्ते में या किसी सामाजिक बंधन में बंध जाता और फिर इसमें संभावनाएं खत्म हो जाती ,लेकिन ऐसा नहीं हुआ है इस से काफी वक़्त तो जीवन अस्त व्यस्त तो हुआ है हमारा लेकिन अब प्रेम खुद को विकसित करने में लगा है और हमें बेहतर खुद से बेहतर बना रहा है।

इस पत्र में तुम्हें धन्यवाद देना चाहूँगा कि तुमने मुझे प्रेम दिया और वो भी अधूरा प्रेम, यानि कि मुझे तुमने उस सृजन का हिस्सा बना दिया है जो एक नई सृष्टि को रूप ,आकार देगा और रही बात मेरे व्यक्तिव की  तो मुझे अभी संभावनाओं को तलाशना है जो है तो मेरे ही भीतर  और मुझे  बेहतर करना है अपने आस्तित्व को। तुम्हारा बहुत धन्यवाद मुझे यूँ अधूरा करने के लिए,प्रेम समझाने के लिये और प्रेम को जीने की सीख देने के लिए।

और हाँ तुम हंसती हुए बहुत सुंदर लगती हो इसलिए हँसती रहो,ख्याल रखो अपना और खूब सारी खुशियाँ तुम्हें मिले।

तुम्हारा
अभिषेक


Comments

  1. Your writing, Your words are impressive ❤️

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  2. पढ़ते हुए लगा मै अपनी भावनाएं व्यक्त कर हूँ। बहुत खूब।❤

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  3. अच्छा लिखा है मित्र और

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