पंचम केदार कल्पेश्वर : यात्रा गाइड (कल्पेश्वर कैसे पहुँचे)

 

 

समुद्र तल से 2200 मीटर की ऊंचाई पर उत्तराखंड के चमोली जिले के जोशीमठ(joshimath) तहसील की उर्गम घाटी में स्तिथ है| और पंच केदारों से ये मंदिर इस तरह अलग है कि यहाँ पर पूरे साल भर शिव जी की पूजा कलपेश्वर महादेव(kalpeshwar) का मंदिर पंच केदारों मे से एक भगवान शिव को समर्पित मंदिर है |ये मंदिर अर्चना होती है और मंदिर साल भर श्रद्धालुओं के लिए खुला रहता है जबकि पंच केदारों में सम्मिलित अन्य मंदिर शीत काल में बंद हो जाते हैं|

इस मंदिर को स्थानीय क्षेत्रों में कल्पनाथ(kalpnath) के नाम से भी जाना जाता है,मंदिर जिला मुख्यालय गोपेश्वर (gopeshwar) से 50  किलोमीटर दूर है और करीब 300 मीटर के पैदल रास्ते के द्वारा मंदिर तक पहुंचा जा सकता है|

अगर कलपेश्वर नाम पर गौर करें तो पौराणिक कथाओं के अनुसार ये नाम मुख्यतः कल्प शब्द से बना है जो कि स्वर्ग में पाए जाने वाले वाले वृक्षों मे से एक कल्प वृक्ष के लिए प्रयुक्त शब्द है |कहा जाता है कि प्राचीन समय में ये वृक्ष लोगों को वरदान देने वाला होता था और श्रीकृष्ण जी द्वारा पत्नी सत्यभामा के कहने पर स्वर्ग में स्थापित किया गया था | और इस स्थान पर प्राचीन समय में बहुत सारे कल्प वृक्ष पाए जाते थे | एक प्राचीन कथा के अनुसार ऋषि दुर्वासा ने इस स्थान पर कल्प वृक्ष के नीचे बैठकर तपस्या की थी| तबसे ये स्थान कलपेश्वर के नाम से जाने जाना लगा |

 एक और कथा कल्पनाथ के बारे में प्रसिद्ध है ,इस कथा के अनुसार इस मंदिर का निर्माण पांडवों(pandav) द्वारा करवाया गया था | कथा बताती है कि पांडव कुरुक्षेत्र का युद्ध जीतने के बाद गोत्र और पित्र हत्या के दोष से मुक्त होने के लिए भगवान शिव की शरण में गए लेकिन भगवान शिव ने उनसे क्रोधित हो कर एक बैल का रूप धारण कर लिया ,और भीम ने उनको इस स्थान पर पकड़ने की कोशिश की तो उनके हाथों में केवल बैल पृष्ट भाग यानि पुंछ ही आई और अन्य भाग चार अलग अलग दिशाओं में भाग गए ,इसके पश्चात पांडवों ने इस स्थान पर शिवलिंग की स्थापना करके पूजा अर्चना प्रारंभ कर दी | तब से ये स्थान पाँच केदार (जो कि कथा के अनुसार बैल के शरीर के हुए पाँच टुकड़ों को दर्शाते हैं) में से एक के रूप में जाना जाने लगा | इस स्थान पर शिव की बैल स्वरूप की जटाएं प्रकट हुई थी इसलिए भी इस मंदिर को जटेश्वर महादेव मंदिर के नाम से भी जाना जाता है |

कल्पनाथ मंदिर की एक और विशेषता ये है कि मंदिर पैदल मार्ग द्वारा रुद्रनाथ मंदिर (पंचकेदारों में से एक और मंदिर ) से जुड़ा हुआ है | यहाँ से आप उर्गम(urgam) गाँव होते हुए करीब 40 किलोमीटर के पैदल मार्ग से होते हुए जो कि कलगोठ ,बंसी नारायण ,पनार और दुमक आदि गांवों से होते हुए रुद्रनाथ मंदिर तक पहुँच सकते हैं |

कलपेश्वर मंदिर के आस पास के स्थानों की बात करें तो निकट ही कल्पगंगा नामक नदी बहती जिसे पौराणिक कथाओं में हिरण्यावती नदी के नाम से संबोधित किया गया है |ये नदी हेलँग(helong) नामक स्थान पर अलकनंदा नदी में मिलती है |मंदिर के बगल में ही कलेवर कुंड है जिसका पानी काफी शुद्ध और शीतल होता है |मंदिर से कुछ ही दूरी पर सप्त बदरी में से एक ध्यान बदरी का मंदिर भी देखने योग्य जगह है |

पंचम केदार कल्पेश्वर : यात्रा गाइड (कल्पेश्वर कैसे पहुँचे)
 

कल्पनाथ मंदिर तक पहुँचने के लिए आप ऋषिकेश ,हरिद्वार और देहरादून(dehradun)
से सड़क मार्ग द्वारा हेलन्ग या जोशीमठ तक पहुँच सकते हैं,वहाँ से आप स्थानीय टैक्सी द्वारा देवग्राम गाँव तक पहुँच सकते हैं और करीब 300 मीटर के पैदल रास्ते से होते हुए मंदिर तक पहुँच सकते हैं|

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