शादियों का सीजन

लो जी आ गया हमारे पूरे देश में शादियों का सीजन! तो ऐसे में हमारे पहाड़ (गढ़वाल-कुमाऊँ-जौनसार के फेर में पड़ा तो मैं बॉइकोट हो सकता हूँ, इसलिए सिर्फ पहाड़) में भी शादी की हवाएं अपने पूरे उफान पर हैं। पहाड़ के गांवों में बची-खुची मासूमियत और रीति रिवाजों में इस बार कई युवा आयुष्मती और चिरायुशाली होने जा रहे है। बहुत सालों पहले परसाई अंकल ने कहा था कि जब भी शादियों का सीजन आता है तो लड़कों के पिताओं के हिसाब-रजिस्टर खुल जाते हैं। लेकिन ये बात आज के समय में हमारे पहाड़ में एकदम उलट हो गई है, शायद हमारे पहाड़ ने देश के यूरोपीय समाज को मानदंड बनाकर हो रहे आधुनिकीकरण के पैटर्न को तोड़ कर कुछ नया ही आधुनिकीकरण ढूंढ लिया है। यहाँ हमारे पहाड़ में हिसाब किताब का रजिस्टर खुलता है लड़की के माता पिताओं के। अब इसे एक तरह से नारी सशक्तिकरण भी बोल सकते हैं, वो अलग से चर्चा का विषय है, करेंगे कभी। शादियों से पहले लड़की के माता पिता के द्वारा वर पक्ष से कोटेशन मंगायें जाते हैं। अब आप लोग अगर सोचने की क्षमता रखते होंगे तो कहेंगे कि क्या कोटेशन, किस तरह का कोटेशन? तो ये कोटेशन हैं अपनी बेटी के लिए सुयोग्य वर ढूँढने का। इसमें जानते हैं पहली शर्त क्या होती है? अरे या यूं कहूँ कि सुयोग्य मैरिज मटीरियल लड़के में क्या-क्या गुण होने चाहिए? तो चलो मैं ही बता देता हूँ कि क्वालिटी जो होनी चाहिए, वो है दिल्ली देहरादून, हरिद्वार, रुड़की, ऋषिकेश, हल्द्वानी, रुद्रपुर (और भी कोई स्थान अगर कोटेशन में आना चाहिए तो आप अपने विवेक का प्रयोग कर सकते हैं) में जमीन। शादी के लिए इच्छुक लड़का इसके अलावा किसी बड़े शहर में नौकरी करता हो और बाहर बसने के लिए एकदम तैयार बैठा हो क्योंकि उसकी नवविवाहिता गाँव में नहीं रहना चाहती है। बल वो गाँव बस तब ही जाएंगी है जब सोशल मीडिया के लिए हैश टेग वन्डरलस्ट, माउंटेन कॉलिंग, ट्रैवल फॉरेवर, प्यारा पहाड़ जैसे कंटेन्ट की जरूरत पड़ेगी।

 

सबसे बड़ी बात ये कि लोगों का इन बातों पर अपने बच्चों को पूरा सहयोग हैं। लड़की के माता पिताओं को इस बात से कोई फरक नहीं पड़ता कि लड़का कैसा है, व्यवहार कैसा है उसका, लड़की खुश रहेगी या नहीं, या कुछ समय पहले अपनी लड़की को पढ़ा लिखाकर इतना बना देते कि वो खुद ही इन जगहों पर जमीन ले लेती, नहीं जी नहीं। बस जमीन के टुकड़े और पहाड़ में न रहने की बात से ही लड़की का सौदा कर लिया जाता है। ऐसे सुयोग्य वरों को ही परसाई अंकल ने असली माल कहा है। तो अगर आप भी इसी तरह के असली क्वालिटी का माल (वर) हैं तो टंग जाइए एक बोर्ड पर शादियों के सीजन के ’क्लियरेंस सेल' में। (नोट- इसे लिखने वाला देहरादून में नौकरी करता है और श्रीनगर में जमीन ले सकता है, अगर किसी के कोटेशन में फिट बैठता हो तो संपर्क कीजिएगा।)


-सेमवाल जी नवोदय वाले

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