क्या विकास की राह चलते-चलते हम विनाश के द्वार पर खड़े हैं?
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CLIMATE CHANGE IN HIMALAYAS : उत्तराखंड में हो रहे विकास कार्यों के कारण पर्यावरणीय संकट और पारिस्थितिकी तंत्र का विनाश एक गंभीर चिंता का विषय बन चुका है। जबकि विकास को राज्य की आर्थिक प्रगति के लिए आवश्यक माना जाता है, बिना पर्यावरणीय संतुलन रखे किए गए कार्य अक्सर दीर्घकालिक नुकसान का कारण बनते हैं। विकास कार्यों के चलते पहाड़ी क्षेत्रों की विशिष्ट भौगोलिक स्थिति और संवेदनशील पारिस्थितिकी अस्थिर हो रही है। पेड़ों की अंधाधुंध कटाई और विकास की कीमत उत्तराखंड में विकास के नाम पर पेड़ों की अंधाधुंध कटाई ने एक गंभीर संकट को जन्म दिया है। 2024-25 में देहरादून-ऋषिकेश मार्ग पर सड़क चौड़ीकरण के लिए 3,300 पेड़ों की कटाई की योजना बनाई गई। इससे पहले दिल्ली-देहरादून राजमार्ग चौड़ीकरण के तहत 31,750 पेड़ों की बलि दी जा चुकी थी। इन विकास कार्यों के लिए पेड़ों की बलि ने जलवायु परिवर्तन को और बढ़ावा दिया है, क्योंकि पेड़ों की कमी से वायुमंडलीय तापमान में वृद्धि हो रही है और स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र पर नकारात्मक असर पड़ रहा है। पर्यावरणीय कार्यकर्ताओं और स्थानीय निवासियों ने इन फैसलों का विरोध क...