MANIPUR VOILENCE REASONS: किस हद तक जाएगी 3 समुदायों की ये लड़ाई?

MANIPUR VOILENCE REASONS: देश के 7 उत्तरी पूर्वी राज्यों में से एक राज्य मणिपुर अपनी प्राकृतिक सुंदरताअद्वितीय संस्कृतिनृत्य-संगीत और खानपान को लेकर विश्व प्रसिद्ध है। क़ई मन मनोहक स्थल और ऐतिहासिक रूप से समृद्ध विरासत लिए हुए अनेक सांस्कृतिक स्थल और प्राकृतिक सुंदरता इस राज्य को देश का एक प्रमुख पर्यटन स्थल बनाते हैं लेकिन पिछले कुछ समय से ये राज्य अपनी आंतरिक समस्याओं से जूझ रहा है और स्थिति तो इतनी बदतर हो चुकी है कि राज्य गृह युद्ध जैसे हालातों के मुहाने पर खडा है| इस समय राज्य में तीन समुदायों के लोग निवास कर रहे हैं| कुर्की, मैतई और नागा | इनमें से दो समुदाय वर्तमान समय में आपस में भीषण लड़ाई लड़ रहें हैं| ये दो समुदाय  हैं कुर्की और मैतई, इनकी लड़ाई ने भीषण हिंसा का रूप ले लिया है

दोनों समुदायों का इतिहास: कितना काला कितना सफेद?

1824 में एंग्लो-बर्मी युद्ध छिड़ गया और मणिपुर उसके नियंत्रण में आ गया।  1891 में इसे ब्रिटिश राज्य का दर्जा दिया गया। इसके बाद अंग्रेजों का दखल बढ़ने लगा और धर्मांतरण होने लगा। अधिकांश जनजातियों के लोग धर्म परिवर्तन करने लगे। फिर अंग्रेजों ने उनके संसाधनों पर कब्जा करना शुरू कर दिया। 1917 मेंकूच-एंग्लो युद्ध ब्रिटेन के साथ हुआ। देश धीरे-धीरे स्वतंत्रता की ओर बढ़ने लगा और 1972 में मणिपुर एक राज्य बन गया| इस समय राज्य में तीन तरह के समुदायों ने अपना आशियाना बनाया| इनमें से  कुकी और मैतेई समुदायों के बीच हिंसा की वजहों की बात करें तो ये नफरत कई सालों से रहीं है। ऐसे कई MANIPUR VOILENCE REASONS हैं जिन्होंने समय के साथ दोनों समुदायों के बीच संबंधों को नुकसान पहुंचाया है| ऐसी ही एक घटना पर नजर डालें तो 1993 में मणिपुर में एक भीषण हिंसा हुई थी। कुरकी समुदाय के 100 से ज्यादा लोगों को नागा लोगों ने मार डाला था। अब मणिपुर फिर से हिंसा का सामना कर रहा है। अभी तक 100 से ज्यादा लोग मारे गए हैं, और हर जगह पुलिस और सेना की लामबंदी हो रखी है। कुर्की और मैतेई समुदायों के बीच संघर्ष का कारण मैतेई को एसटी श्रेणी में शामिल करने की मांग थी।

 

MANIPUR VOILENCE REASONS:कहानी सिर्फ इतनी नहीं है जितनी दिखाई गई है|

 

ये हिंसा बताए गए या यूं कहें कि प्रचारित किये गए कारणों तक ही सीमित नहीं है। अगर हम दोनों समुदायों के सभी पहलुओं को समझने की कोशिश करें तो पाएंगे कि मैतेई समुदाय को एसटी वर्ग में शामिल करना ही यहाँ उपजी हिंसा का कारण नहीं है| यह नफरत कई सालों से चली आ रही है। ऐसी कई घटनाएं हुई हैं जिन्होंने समय के साथ दोनों समुदायों के बीच संबंधों को नुकसान पहुंचाया है तो इन्हीं कुछ MANIPUR VOILENCE REASONS पर बात करते हैं।

 

·       मणिपुर में 16 जिले हैं। मैतेई समुदाय की आबादी 53 फीसदी है। इसके अलावा, 90% पहाड़ी क्षेत्र है जहाँ 42% कुरकी (नागा जनजातियों को छोड़कर) रहते है।

·       NRC को लागू करने की मांग इस इलाके मे बहुत जोर से उठाई गईं थीमैतेई समुदाय के लोगों का कहना है कि 1970 के बाद यहां कितने शरणार्थी आए इसकी गणना की जानी चाहिए और एनआरसी को यहां लागू किया जाना चाहिए। आंकड़े बताते हैं कि इनकी(रेफ्यूजी) आबादी 17% से बढ़कर 24% हो गई है।

·       जमीन खरीदने के कानून को लेकर हुआ विवाद: मैतेई समुदाय के लोग को पहाड़ी इलाकों में जमीन खरीदने की अनुमति सरकार ने नहीं दे रखीं है। समुदाय का कहना है कि कुर्की लोगों को क्यों ये अधिकार दिया गया है जबकि हमें इससे वंचित रखा गया है|

·       मैतेई समुदाय का आरोप है कि कुकी ने बड़ी मात्रा में जमीन पर कब्जा कर लिया है. इसलिए अब हमें भी आदिवासी का दर्जा दिया जाए। मेइती समुदाय की इस मांग का कुकी समुदाय ने बार-बार विरोध किया है और हिंसा भी हुई है.

·       सौतेला व्यवहार: राज्य के कुकी समुदाय के लोगों का कहना है कि सरकार मैतेई समुदाय से संबंध रखने वाले लोगों की आवश्यकता से अधिक मदद कर रही है| सरकार द्वारा राज्य में नए बनाए गए सभी कानून इन्हीं लोगों के पक्ष में हैं।

·       बाहरी कौन है?: दोनों में से कौन बाहरी है और कौन मूलनिवासी! यह भी MANIPUR VOILENCE REASONS का एक स्रोत है। कुकी समुदाय को एक बाहरी समुदाय के रूप में जाना जाता है। वहींम्यांमार में 2021 में हालात बिगड़ने के बाद मैतई समुदाय को चिंता है कि बाहरी लोग फिर से उनके राज्य में आएंगे।

·       हिंसा के आरोप: कुकी और मैतेई समुदायों के लोग भी नियमित रूप से एक-दूसरे पर मारपीट और उत्पीड़न का आरोप लगाते हैं। न तो आरोप और न ही हिंसा खत्म हुई है।

 

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