Posts

Showing posts from 2021

उधार खाता

आज का दिन बड़ा ही उबाऊ और आलस भरा रहा था,दिन भर मैंने कमरे में लेटे लेटे ही वक़्त काट लिया था। जैसे ही घड़ी ने शाम के साढ़े पांच बजाये मेरे भीतर का पहाड़ी मनुष जाग गया,मै उठा और हाथ मुँह धोकर पहुंच गया आंटी की दुकान पर चाय पीने..... आंटी की दुकान के बारे में बता दूँ की ये दुकान सिर्फ नाम से आंटी की दुकान है, लेकिन यहाँ पर आकर आपको सारी दुनिया की खबरें ,ढेर सारा ज्ञान, और सोशलायज़िंग का पूरा मसाला मिल जायेगा और साथ में आंटी की तीखी जबान से दिल चीर देने वाले नश्तर और मीठी चाय और नमकीन समोसे ,तो ये मेरे जैसे भूले भटकों और दर्द में कराहने वालों के लिए औषधालय से कम नहीं था यहाँ पर आकर कुछ देर के लिए ही सही मैं सब कुछ भूल कर दुनिया भर की बकवास और बकवास मे छुपी बहुत सारी चटपटी बातों मे खो जाता था। आज भी यही सब हो रहा था,जैसा की अक्सर ऐसी चाय की दुकानों में होता ही है, भांति भांति प्रकार के किरदार अपना एक्ट कर रहे थे,ऐसे में एक हमारे एक मित्र दुकान मे आ पहुंचे, जो कि एक तरह से हमारे क्लासमेट भी थे।वो उम्र में मुझ से करीब दस साल बड़े थे, अब वो किस तरह मेरे क्लासमेट थे ये मैं आप लोगों की कल्पना पर ...

आभा

बिल्कुल सादे सूट सलवार में,न चेहरे पर पाउडर की चमक ना होंटो पर हल्की गुलाबी लाली ना चेहरे पर दीप्त मुस्कान,बिल्कुल काया पलट हो गया मानो, ये वही लड़की है जिसे मैं जानता हँ की मेकअप और कपड़ो के लिए कहीं बाहर जाना तक कैंसल कर देती थी और आज मेरे सामने बिल्कुल सादी सी वेशभूषा में खड़ी थी,मैं बिल्कुल अचंभे में था और मेरा चौंक जाना लाजमी था ये वही लड़की थी जो कॉलेज के दिनों में इतनी जिंदा दिल और हंसमुख सी लड़की हुआ करती थी आज बहुत ही संजीदा और शांत लग रही थी। मैं उससे पूछना चाहता था की ये जो मैं देख रहा हूँ ये सब हाल तुमने क्यों और कैसे बना लिया है। तो कहानी शुरु हुई जब कॉलेज की शुरुआत में तो मेरी मुलाक़ात आभा से हुई थी,और यूँ कहूँ की पहली नजर में उसके लिए मेरे दिल में तितलियाँ उड़ने लगी थी,लेकिन मैं तो भंवरा बन कर किसी और फूल की ओर उड़ गया,फिर वक़्त बीता और मेरा प्रेम का फूल मुरझा गया और मैंने दिल टूटे आशिक की डिग्री पा ली,ये तो हुई मेरी कहानी लेकिन ये कहानी तो आभा की है । आभा के बारे में जितना जान सका वो सब मेरी कुछ सखियों के बदौलत है,वैसे मेरी कुछ बातचीत होती रहती थी उस से लेकिन इन चीजों मे कभी...

चाय की प्याली

  “हाँ ये चाय रख दो यहाँ पर” मैंने छोटू को  मेज की तरफ इशारा करते हुए कहा, ये वक़्त शाम की चाय का था और पिछले कुछ दिनों से एक नया लड़का चाय देने आ रहा था,यूँ तो चाय उसी टपरी की थी,पर स्वाद और जायका बदल गया गया था,पहले एक लड़की वहाँ चाय बनाती थी और अब शायद उसका भाई। मैं इस शहर में एक साल से रह रहा था,मैं एक छोटे से कस्बे का जोशीमठ का रहने वाला था और श्रीनगर जैसे बड़े शहर में पिछले एक साल से जल निगम में सहायक क्लर्क के पद पर था,यूँ तो काम कुछ ज्यादा था नहीं पर मेरे लिए बहुत जरूरी था, क्योंकि ये मेरी पहली नौकरी और दूसरी बात ये कि मैं घर से दूर निकल गया था जो कि मैं हमेशा से चाहता था। मेरी आँखों में मेरे ऑफिस का पहला दिन चल रहा था ,जब मैं नई जगह नई नौकरी को लेकर उत्साहित और थोड़ा सा नर्वस भी था और अपने पहले ही दिन कुछ ऐसा करना चाहता था कि मेरा मन इस नई जगह में रम जाए,यूँ तो मैं कोई दक्षिण भारतीय फिल्मों का कोई फंतासी नायक तो था नहीं कि कुछ असाधारण कार्य कर दूं और सबकी नजरों में हीरो बन जाऊं.......मुझे तो खुद के लिए कुछ वजह तलाशनी थी जिसके बूते मैं एक नए और अपेक्षा कृत बड़े शहर में रह ...

तुम्हारी हथेलियां

  तुमने जब प्रेम वश पीछे से आकर मेरी आँखों पर हाथ रख लिए अपने वैसे तो ये तुम्हारा बचपना था मगर मेरे लिए ऐसा था कि जैसे तुम कह रही हो “मत देखो कुछ भी मत देखो दुनिया को मत देखो समाज को मत देखो रूढ़ियों को मत देखो बेढंगे रिवाज को बस तुम देखो आँखे बंद कर मुझे बस महसूस करो मेरे हाथों का स्पर्श” सच मे तुम्हारी हथेलियों में कोई तिलिस्म जरूर था तुमने हर ली थी सारी बेचैनियां मेरी सारी उलझनें काफूर हो गयी थी उस एक पल में तुमने जब प्रेम वश पीछे से आकर मेरी आँखों पर हाथ रख लिए अपने .. .. © सेमवाल जी नवोदय वाले

तुम्हारे प्रेम में

तुम्हारे प्रेम में मैं तुम्हारे प्रेम में पालने लगूंगा बकरियां जिन्हें लेकर चल पड़ूँगा बुग्यालों की तरफ उनका घूमना हमारे साथ चलने का द्योतक होगा, जतायेगा की उनके पैर हम है साथ नाप लेंगे समतल, उबड़ खाबड़ मैदान जो बताएंगे, की हमने जीवन की सारी बाधाएं पार कर ली हैं..... हाँ तुम्हारी याद में बकरियाँ लेना ही बेहतर होगा। वो चर जाएंगी सब घास जिन से हमारे अलग होने की बूटी बनी थी वो करेंगे हमारे बीच खड़ी हदों ,सरहदों समाज के उलाहनों, वफ़ा की संसदों को पार,और ले चलेंगी हमें इस दुनिया से दूर जहाँ हम तुम एक हो रहें। © सेमवाल जी नवोदय वाले

तुम भी जरा मुस्कुराओ ना

  इन तन्हा तन्हा उदास सी रातों में तुम भी जरा मुस्कुराओ ना बड़ी बोझल सी लग रही है कहानी ये तुम कुछ तो इश्क़ गुनगुनाओ ना अल्फाज बिखरे से पड़े हैं जिंदगी के पन्नों पर तुम भी कुछ दोहराओ ना अगर सुन सकते हो बातें मेरी ये सब दौड़ कर मेरे पास आ जाओ ना भूल जाऊं सारे गम सितम अहले करम तुम कुछ यूं मुझे गले लगाओ ना ©सेमवाल जी नवोदय वाले