उधार खाता
आज का दिन बड़ा ही उबाऊ और आलस भरा रहा था,दिन भर मैंने कमरे में लेटे लेटे ही वक़्त काट लिया था। जैसे ही घड़ी ने शाम के साढ़े पांच बजाये मेरे भीतर का पहाड़ी मनुष जाग गया,मै उठा और हाथ मुँह धोकर पहुंच गया आंटी की दुकान पर चाय पीने..... आंटी की दुकान के बारे में बता दूँ की ये दुकान सिर्फ नाम से आंटी की दुकान है, लेकिन यहाँ पर आकर आपको सारी दुनिया की खबरें ,ढेर सारा ज्ञान, और सोशलायज़िंग का पूरा मसाला मिल जायेगा और साथ में आंटी की तीखी जबान से दिल चीर देने वाले नश्तर और मीठी चाय और नमकीन समोसे ,तो ये मेरे जैसे भूले भटकों और दर्द में कराहने वालों के लिए औषधालय से कम नहीं था यहाँ पर आकर कुछ देर के लिए ही सही मैं सब कुछ भूल कर दुनिया भर की बकवास और बकवास मे छुपी बहुत सारी चटपटी बातों मे खो जाता था। आज भी यही सब हो रहा था,जैसा की अक्सर ऐसी चाय की दुकानों में होता ही है, भांति भांति प्रकार के किरदार अपना एक्ट कर रहे थे,ऐसे में एक हमारे एक मित्र दुकान मे आ पहुंचे, जो कि एक तरह से हमारे क्लासमेट भी थे।वो उम्र में मुझ से करीब दस साल बड़े थे, अब वो किस तरह मेरे क्लासमेट थे ये मैं आप लोगों की कल्पना पर ...