शादियों का सीजन
लो जी आ गया हमारे पूरे देश में शादियों का सीजन! तो ऐसे में हमारे पहाड़ (गढ़वाल-कुमाऊँ-जौनसार के फेर में पड़ा तो मैं बॉइकोट हो सकता हूँ, इसलिए सिर्फ पहाड़) में भी शादी की हवाएं अपने पूरे उफान पर हैं। पहाड़ के गांवों में बची-खुची मासूमियत और रीति रिवाजों में इस बार कई युवा आयुष्मती और चिरायुशाली होने जा रहे है। बहुत सालों पहले परसाई अंकल ने कहा था कि जब भी शादियों का सीजन आता है तो लड़कों के पिताओं के हिसाब-रजिस्टर खुल जाते हैं। लेकिन ये बात आज के समय में हमारे पहाड़ में एकदम उलट हो गई है, शायद हमारे पहाड़ ने देश के यूरोपीय समाज को मानदंड बनाकर हो रहे आधुनिकीकरण के पैटर्न को तोड़ कर कुछ नया ही आधुनिकीकरण ढूंढ लिया है। यहाँ हमारे पहाड़ में हिसाब किताब का रजिस्टर खुलता है लड़की के माता पिताओं के। अब इसे एक तरह से नारी सशक्तिकरण भी बोल सकते हैं, वो अलग से चर्चा का विषय है, करेंगे कभी। शादियों से पहले लड़की के माता पिता के द्वारा वर पक्ष से कोटेशन मंगायें जाते हैं। अब आप लोग अगर सोचने की क्षमता रखते होंगे तो कहेंगे कि क्या कोटेशन, किस तरह का कोटेशन? तो ये कोटेशन हैं अपनी बेटी के लिए सुयोग्य वर ढूँढने का...