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Showing posts from 2023

शादियों का सीजन

लो जी आ गया हमारे पूरे देश में शादियों का सीजन! तो ऐसे में हमारे पहाड़ (गढ़वाल-कुमाऊँ-जौनसार के फेर में पड़ा तो मैं बॉइकोट हो सकता हूँ, इसलिए सिर्फ पहाड़) में भी शादी की हवाएं अपने पूरे उफान पर हैं। पहाड़ के गांवों में बची-खुची मासूमियत और रीति रिवाजों में इस बार कई युवा आयुष्मती और चिरायुशाली होने जा रहे है। बहुत सालों पहले परसाई अंकल ने कहा था कि जब भी शादियों का सीजन आता है तो लड़कों के पिताओं के हिसाब-रजिस्टर खुल जाते हैं। लेकिन ये बात आज के समय में हमारे पहाड़ में एकदम उलट हो गई है, शायद हमारे पहाड़ ने देश के यूरोपीय समाज को मानदंड बनाकर हो रहे आधुनिकीकरण के पैटर्न को तोड़ कर कुछ नया ही आधुनिकीकरण ढूंढ लिया है। यहाँ हमारे पहाड़ में हिसाब किताब का रजिस्टर खुलता है लड़की के माता पिताओं के। अब इसे एक तरह से नारी सशक्तिकरण भी बोल सकते हैं, वो अलग से चर्चा का विषय है, करेंगे कभी। शादियों से पहले लड़की के माता पिता के द्वारा वर पक्ष से कोटेशन मंगायें जाते हैं। अब आप लोग अगर सोचने की क्षमता रखते होंगे तो कहेंगे कि क्या कोटेशन, किस तरह का कोटेशन? तो ये कोटेशन हैं अपनी बेटी के लिए सुयोग्य वर ढूँढने का...

उत्तराखन्ड का एक ऐसा मन्दिर जहाँ छिपा है कलियुग के अन्त का रहस्य!

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उत्तराखंड हमेशा से ही देश दुनिया के पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र रहा है। ये राज्य पर्यटन की   दृष्टि से दुनियाभर में अपनी अलग पहचान रखता है। प्राकृतिक छटाओं और सुंदरता से सरोबार ये उत्तर भारतीय राज्य भारत के सबसे सुंदर राज्यों में से एक है। यहां ऊंचे - ऊंचे हरेभरे पहाड़ ,  हरियाली से सरोबार बुगयाल और कल कल बहती नदियां हमेशा से पर्यटकों का मन मोहती आई हैं।   इसके अलावा    यहां के धार्मिक स्थलों की सुंदरता और इनसे जुड़ी हुई पौराणिक कथाएं पुरी   दुनिया को अपनी ओर खींच लाती है। इन तीर्थस्थानों से जुड़ी देवी देवताओं से संबंधित अनेक कथाएं और रहस्य दुनियाभर में प्रसिद्ध    हैं। उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में ऐसा ही एक रहस्यमयी मंदिर है जिसकी कहानी सुनकर हर किसी की आँखें खुली की खुली रह जाती है। ये मंदिर है पिथौरागढ़ में स्थित पाताल भुवनेश्वर गुफा मंदिर । ये प्राचीन मंदिर समुद्र तल से  1,350  मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और जो लोग प्रकृति और आध्यात्मिकता के रहस्यों को करीब से महसूस करना चाहते हैं उनके लिए ये स्थान किसी खजाने से कम नहीं है। ...

Inglourious Basterds: A cinematic gem for you.

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Inglourious Basterds is a film that facinates audiences with  a  mind blowing and unique mixture of history and fiction. Quentin Tarantino wrote  and directed  the film, It was  released in 2009. Brad Pitt, Mélanie Laurent, Christoph Waltz, Eli  Roth,  and Michael Fassbender acted in this film. Plot of film is about a group of  American -Jewish soldiers during World War II, who commence on a mission related to high ranked Nazi officials.These recruits  are tasked with assassinating Nazi  leaders  to depose the Third Reich. The film revolves arround their mission and  interaction  with  Shosanna Dreyfus (Laurent),  a young French  Jewish  woman  who  wants  revenge  on  the Nazis for the murder of her family.  Because of thriller,  exciting  action and memorable characters, many viewers wondered if  " Inglourious Basterds " is  based on a true story. He...

Breaking the Silence: Understanding Loneliness and Caring it.

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Loneliness is an everyday experience that affects many people. We are going to explore different aspects of loneliness and how it affects our lives. From loneliness to the importance of socializing, we will explore how to cope with loneliness and find solace in relationships. Loneliness is a complex emotion that can manifest in many ways. This feeling can be experienced when we are alone, but it can also be felt when we are surrounded by others. Loneliness can begin from a lack of meaningful connection or rather say a true connection and have profound effects on our mental and emotional health. It can lead to feelings of sadness and emptiness, and even physical symptoms like fatigue and insomnia. However, But it is important to remember that loneliness does not last long. It can be resolved. Breaking the Silence: Understanding Loneliness and Caring it. There are several ways including medication and inner will power that can help us to come out from periods of loneliness or that bl...

प्रेम पत्र -2

तो हुआ यूं कि हम दोनों की मुलाकात के बाद मैं अपने कमरे में लौट कर आया। कुछ अनमने से भावों की उधेड़बुन में फँसा हुआ था। किसी तरह खाना पकाया, जैसे तैसे दो कौर निगल कर अपने बिस्तर पर गिर गया। मेरा बिस्तर जो पिछले पांच सालों में मेरे हर एक दुख-सुख, मेरे अवसादों, मेरी खिलखिलाहटों, मेरी मुस्कुराहटों और मेरे आँसुओं का एक अकेला गवाह था, उसने भी मुझे किसी प्रेमी की तरह अपनी बाहों में भर लिया। इसके साथ ही शुरू हो गया मेरे तुम्हारे बारे में सोचने का अनवरत सिलसिला, जो कि बहुत दिनों से मेरी और मेरी नींद के प्रेम का दुश्मन बना बैठा था लेकिन इस चीज ने मुझे कभी परेशान नहीं किया। मेरी आँखें एकटक छत पर घर्र घर्र करते पँखे पर टिकी हुई थी और मेरा दिमाग, मेरा दिल जो तुम्हारे लिए मुझसे क़ई बार गद्दारी कर चुका था, बस तुम्हारे ही बारे में सोचने लग गया। वैसे तो मैंने सोच की सारी हदें पार की और अपनी सोच में तुम्हें अच्छा बुरा, बहुत कुछ बनाया लेकिन बात का सार कुछ इस तरह से निकला कि- "हाँ! मुझे बुरा लगता है, खीझ होती है, जलन होती है जब तुम मुझ से किसी और लड़के की बातें करती हो, वो शायद तुम्हारा प्रेयस हो या कोई...

MANIPUR VOILENCE REASONS: किस हद तक जाएगी 3 समुदायों की ये लड़ाई?

MANIPUR VOILENCE REASONS :   देश के 7 उत्तरी पूर्वी राज्यों में से एक राज्य   मणिपुर   अपनी प्राकृतिक सुंदरता ,  अद्वितीय संस्कृति ,  नृत्य-संगीत और खानपान को लेकर विश्व प्रसिद्ध है। क़ई मन मनोहक स्थल और ऐतिहासिक रूप से समृद्ध विरासत लिए हुए अनेक सांस्कृतिक स्थल और प्राकृतिक सुंदरता इस राज्य को देश का एक प्रमुख पर्यटन स्थल बनाते हैं लेकिन पिछले कुछ समय से ये राज्य अपनी आंतरिक समस्याओं से जूझ रहा है और स्थिति तो इतनी बदतर हो चुकी है कि राज्य गृह युद्ध जैसे हालातों के मुहाने पर खडा है | इस समय राज्य में तीन समुदायों के लोग निवास कर रहे हैं | कुर्की , मैतई और नागा | इनमें से दो समुदाय वर्तमान समय में आपस में भीषण लड़ाई लड़ रहें हैं | ये दो समुदाय  हैं कुर्की और मैतई ,   इनकी लड़ाई ने भीषण हिंसा का रूप ले लिया है दोनों समुदायों का इतिहास: कितना काला कितना सफेद ? 1824  में एंग्लो-बर्मी युद्ध छिड़ गया और मणिपुर उसके नियंत्रण में आ गया।    1891  में इसे ब्रिटिश राज्य का दर्जा दिया गया। इसके बाद अंग्रेजों का दखल बढ़ने लगा और धर्मांतरण होने ...

TO THE DEAREST ONE

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To, My dearest one As I sit here, missing you with every fiber of my being, I find solace in this fact that our love transcends the physical distance between us. Though miles may separate us, my heart remains eternally bound to yours, for you are the one who brings joy and meaning to my life. Every day, I  remember of the incredible connection we share. From the first moment we met, it was as if the universe conspired to bring us together. Your smile, your laughter, and the way you effortlessly brighten up my dark room are all constant sources of inspiration for me. I try to live in  those moments. I realize how fortunate I am to have you in my life. Even though we cannot hold hands or share the warmth of an embrace, I take solace in the memories we have created together. Our late-night conversations, filled with laughter and vulnerability, have given me a deeper understanding of who you are and the beautiful soul that resides within you. Our shared dreams and aspirations igni...

पंचम केदार कल्पेश्वर : यात्रा गाइड (कल्पेश्वर कैसे पहुँचे)

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    समुद्र तल से 2200 मीटर की ऊंचाई पर उत्तराखंड के चमोली जिले के जोशीमठ(joshimath) तहसील की उर्गम घाटी में स्तिथ है| और पंच केदारों से ये मंदिर इस तरह अलग है कि यहाँ पर पूरे साल भर शिव जी की पूजा कलपेश्वर महादेव(kalpeshwar) का मंदिर पंच केदारों मे से एक भगवान शिव को समर्पित मंदिर है |ये मंदिर अर्चना होती है और मंदिर साल भर श्रद्धालुओं के लिए खुला रहता है जबकि पंच केदारों में सम्मिलित अन्य मंदिर शीत काल में बंद हो जाते हैं| इस मंदिर को स्थानीय क्षेत्रों में कल्पनाथ(kalpnath) के नाम से भी जाना जाता है,मंदिर जिला मुख्यालय गोपेश्वर (gopeshwar) से 50   किलोमीटर दूर है और करीब 300 मीटर के पैदल रास्ते के द्वारा मंदिर तक पहुंचा जा सकता है| अगर कलपेश्वर नाम पर गौर करें तो पौराणिक कथाओं के अनुसार ये नाम मुख्यतः कल्प शब्द से बना है जो कि स्वर्ग में पाए जाने वाले वाले वृक्षों मे से एक कल्प वृक्ष के लिए प्रयुक्त शब्द है |कहा जाता है कि प्राचीन समय में ये वृक्ष लोगों को वरदान देने वाला होता था और श्रीकृष्ण जी द्वारा पत्नी सत्यभामा के कहने पर स्वर्ग में स्थापित किया गया था | और इ...